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वात व पित्त के साथ ही तमाम रोगों से छुटकारा दिलाने में सहायक है सौंफ

-आयुर्वेदाचार्य डॉ. एसके राय ने कहा, भोजन को पचाने के साथ ही पेट दर्द, सिर दर्द में है फायदेमंद लखनऊ, 20 फरवरी (हि.स.)। भोजन के बाद सौंफ खाने की पुरानी परंपरा रही है। यह परंपरा यूं ही नहीं है। विटामिन सी, आयरन, मैगनीज से भरपूर सौंफ भोजन को पचाने में बहुत सहायक है। इसके साथ ही सांस, वात से संबंधित रोगों से छुटकारा दिलाने में भी सहायक है। इस संबंध में आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर एसके राय ने बताया कि एक चम्मच (छह ग्राम) सौंफ में दो ग्राम फाइबर, दैनिक जरूरत का एक प्रतिशत विटामिन सी, पांच प्रतिशत कैल्शियम, छह प्रतिशत आयरन, पांच प्रतिशत मैग्निशियम, दो प्रतिशत पोटेशियम, 17 प्रतिशत मैगनीज पाया जाता है। उन्होंने हिन्दुस्थान समाचार से विशेष वार्ता में कहा कि सौंफ वात के साथ ही पित्त को शांत करता है। इससे भूख बढ़ती है और भोजन पचता है। वीर्य की वृद्धि करता है। हृदय, मस्तिष्क तथा शरीर के लिए लाभकारी होता है। यह गठिया, बुखार आदि वात रोग, घावों, दर्द, आँखों के रोग, अपच, कब्ज की समस्या में फायदा पहुंचाता है। इसके साथ ही यह पेट में कीड़े, प्यास, उल्टी, पेचिश, बवासीर, टीबी आदि रोगों को ठीक करने में भी सहायता करता है। इसके अलावा सौंफ का प्रयोग कई अन्य रोगों में भी किया जाता है। उन्होंने कहा कि सौंफ की जड़ के चूर्ण का सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है। इसके बीज का 5-10 मिली मात्रा में भोजन के प्रत्येक ग्रास के साथ छोटे बच्चों को पिलाने पर कब्ज दूर होता है। इसके सेवन करने से डकार और पेट की गैस की समस्या ठीक होती है। डॉ. राय ने बताया कि इसको पानी के साथ पीसकर ललाट पर लगाने से सिरदर्द से आराम मिलता है। सौंफ के पत्ते के रस में रूई को भिगोकर आंखों पर रखने से जलन, दर्द तथा लालिमा की परेशानी ठीक होती है। इसके नियमित सेवन करने से आंखों के रोग ठीक होते हैं तथा आंखों की रोशनी बढ़ती है। सौंफ खाने से आंख के रोग में फायदा मिलता है। उन्होंने बताया कि अंजीर के साथ सौंफ का सेवन करने से सूखी खांसी, गले की सूजन से राहत जल्दी मिलती है। इसका काढ़ा बनाकर उसमें फिटकरी मिलाकर गरारा करने से मुंह के छालों में लाभ होता है। सौंफ में बराबर मिश्री मिलाकर सेवन करने से मुंह से बदबू आने की परेशानी ठीक होती है। हकलाने की बीमारी में 15-30 मिली सौंफ काढ़ा में मिश्री तथा गाय का दूध मिलाकर पिएं। इससे हकलाना की परेशानी कम होती है। उन्होंने कहा कि सौंफ, वच, कूठ, देवदारु, रेणुका, धनिया, खस तथा नागरमोथा को बराबर मात्रा में लेकर उसका काढ़ा बना लें। इसमें मधु तथा मिश्री मिला लें। इसे 25-50 मिली की मात्रा में सुबह और शाम पीने से वात दोष के कारण होने वाला बुखार ठीक हो जाता है। उन्होंने कहा कि 5-10 मिली सौंफ पत्तों के रस को पीने से पूरे शरीर का दर्द ठीक होता है। उन्होंने कहा कि 10-30 मिली सौंफ काढ़ा में नमक मिलाकर पीने से अधिक नींद आने की परेशानी ठीक होती है। 10-30 मिली सौंफ के काढ़ा में 100 मिली गाय का दूध तथा घी मिलाकर पिलाने से नींद अच्छी आती है। डॉ राय ने कहा कि 6-12 ग्राम शतपुष्पादि घी को गुनगुने दूध अथवा जल के साथ सेवन करें। इससे वात, पित्त, मेद, मूत्र रोग में फायदा होता है। इसके साथ ही मोटापा, फाइलेरिया (हाथीपाँव) तथा लीवर और तिल्ली की वृद्धि जैसी बीमारी में लाभ होता है। हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/दीपक

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