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फतेहपुर: अंतर्मना अहिंसा संस्कार पदयात्रा 32 राज्यों से होते हुए फतेहपुर पहुंची, भव्य स्वागत

- जैन धर्म गुरु अंतर्मना आचार्य 108 प्रसन्न सागर ने तय की एक लाख किलोमीटर की पदयात्रा -गुरु के ओजस्वी विचारों से अनुयायियों में नई ऊर्जा का हुआ संचार फतेहपुर, 06 फरवरी (हि.स.)। जिले में शनिवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की डांडी यात्रा से प्रेरित होकर जैन धर्म गुरु अंतर्मन आचार्य 108 प्रसन्न सागर के साथ मूर्ति जैन मुनि 108 पीयूष सागर की पदयात्रा कानपुर के पारस इण्ड्रस्टीज ई 30 रुमा में प्रवास के बाद आज जनपद सीमा की छिवली नदी के रास्ते फतेहपुर में प्रवेश हुई। जिले के चैडगरा कस्बे में रबी जैन, राजीव जैन ने यात्रा का भव्य स्वागत किया। यात्रा में चल रहे जैन धर्म गुरुओं का पदमचंद जैन परिवार की ओर से प्रसाद वितरण किया गया। वहां प्रयागराज के लिए यात्रा प्रस्थान हुई। 'अहिंसा परमो धर्मः' को ध्यान में रख यात्रा के दौरान गुजरात, अहमदाबाद, कानपुर, वेस्ट बंगाल, धुलियान, राजस्थान, मैसूर कर्नाटक, मुंबई, चेन्नई, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, आसाम, मध्य प्रदेश, के सैकड़ों की संख्या में अनुयाई शिष्य पदयात्रा में शामिल रहे। जानकारी के अनुसार जैन धर्म गुरु प्रसन्न सागर के 35 उपवास उनके कठिन तपस्या, परिश्रम, कर्तव्य निष्ठा, तपस्वी की उपाधि से आमजन मानस में सम्मान प्राप्त है। पदयात्रा कार्यक्रम में पदम् चंद्र जैन तेल मिल वाले पवनीश जैन, आनंदपुरी कानपुर, मनीष जैन, अवनीश जैन, अजय लाली, जैन आराध्या कोटा से तो वहीं दूसरी ओर विजय किरण दूत रावी मुंबई से विनोद, ईशान, मनीष, बंटी, राजेश, रोचक, अमित, सन्दीप सहित बड़ी संख्या में धर्म गुरु के शिष्य पदयात्रा में शामिल रहे। पवनीश जैन शिष्य ने बताया कि गुरुओं के ओजस्वी विचारों को सुनकर हम शिष्यों के अंदर नई ऊर्जा का संचार होता है। ईश्वर से जुड़ने का एकमात्र माध्यम गुरु ही होता है। गुरुओं की कड़ी तपस्या हमें अत्यधिक परिश्रम करने के लिए प्रेरित करती है। देश प्रेम, अध्यात्म व धर्म को लेकर गुरु के विचार हमें उत्साहित करते हैं। जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। हिन्दुस्थान समाचार/देवेन्द्र-hindusthansamachar.in

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