भारत रत्न नानाजी की पुण्यतिथि पर आस्था से पुरुषार्थ हो रहा जागृत - अभय महाजन
- एक मुट्ठी अनाज एवं एक रूपये के अंशदान से होगा भंडारा चित्रकूट 22 फरवरी (हि.स.)। व्यक्ति पुरुषार्थी, स्वावलंबी तब बनता है जब उसका आत्मबल मजबूत होता है। आत्मविश्वास को मजबूती देने में आस्था का होना जरूरी है। ऐसी ही कुछ आस्था चित्रकूट क्षेत्र के ग्राम वासियों में भारत रत्न नानाजी देशमुख के लिए दिखी। नानाजी की 11वीं पुण्यतिथि कार्यक्रम के भले ही पांच दिन शेष है लेकिन जन सहभागिता का भाव गांव-गांव दिखाई दे रहा है। मंगलवार को दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन ने बताया कि नानाजी ने गांवों के विकास में जनता की पहल और सहभागिता को ही अपना ध्येय माना इसलिए पिछले 10 वर्षों से उनकी पुण्यतिथि का कार्यक्रम जन सहभागिता से ही संपन्न होता आ रहा है।नानाजी की पुण्यतिथि के अवसर पर ग्रामीण जनों को कृषि, पशुपालन, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वरोजगार, विवाद मुक्त ग्राम और अन्य क्षेत्रों की विभिन्न योजनाओं एवं प्रगति की जानकारी देने हेतु कार्यक्रम आयोजित होते आ रहे हैं। इसलिए नानाजी की 11वीं पुण्यतिथि 27 फरवरी का कार्यक्रम भी जन सहभागिता से संपन्न होगा। इसके लिए प्रत्येक घर से कम से कम एक मुट्ठी अनाज और कम से कम एक रूपया अंशदान सहयोग रूप में आह्वान किया गया है। श्री महाजन ने कहा कि नानाजी स्थूल रूप से गए लेकिन उनके प्रति आस्था आज विद्यमान है, यहां लोगों में प्रबल आस्था दिखती है। मझगवां विकासखंड और चित्रकूट जनपद के गांव-गांव में आस्था के प्रति सहभागिता का नजारा देखने लायक है। नानाजी की पुण्यतिथि के लिए ग्रामवासी बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने में लगे हुए हैं। इसके लिए दीनदयाल शोध संस्थान के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ ग्रामवासी एवं चित्रकूट के नगर वासी एकत्रीकरण में लगे हुए हैं। टोली के रूप में सभी लोग मझगवां एवं चित्रकूट जनपद के अधिकांश गांव एवं घरों तक पहुंच रहे है, पुण्यतिथि कार्यक्रम का आमंत्रण दिया जा रहा है और सहयोग की अपेक्षा की जा रही है। पुण्यतिथि का यह कार्यक्रम 26 फरवरी को प्रातः 7:00 बजे से अखंड मानस पाठ के साथ प्रारंभ होकर 27 फरवरी को हवन के पश्चात भंडारा प्रसाद के साथ संपन्न होगा। यह सारा कार्यक्रम दीनदयाल परिसर उद्यमिता विद्यापीठ चित्रकूट में संपन्न होगा। श्रद्धांजलि एवं भंडारा प्रसाद के लिए आम जनमानस सपरिवार सादर आमंत्रित है। हिन्दुस्थान समाचार/ रतन