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कोरोना के खिलाफ आस्था बना हथियार, 13 करोड़, 20 लाख बार लिखा 'राम-नाम'

- श्रीराम बैंक के 41 हजार खाताधारकों ने 13 करोड़, 20 लाख बार लिखा राम-नाम - कोरोना काल में रामभक्तों ने राम नाम लिखकर मानसिक शांति और ताकत बढ़ाई मीरजापुर, 20 अप्रैल हि.स.)। कोरोना के डर को भगाने के लिए हर कोई नुस्खे अपना रहा है, लेकिन रामभक्तों ने अपनी आस्था को कोरोना के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार बनाया। विंध्याचल स्थित प्रभु श्रीराम बैंक के 41 हजार खाताधारकों ने 12 हजार कापियों में काेराेना काल के दाैरान 13 करोड़ 20 लाख बार राम नाम लिखा। राम नाम लिखने के बाद खाताखारकों ने इन कापियों को श्रीराम बैंक पर जमा किया है। भक्तों का कहना है कि राम नाम लिखने से मन काे शांति, विश्वास, हाैसला और आत्मविश्वास मिलता है। कहते हैं कि लाल रंग की स्याही से श्रीराम का नाम लिखने से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं। इससे अशुभ ग्रहों के प्रकोप से राहत मिलती है। इसके अलावा मन एकाग्र होता है और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। राम सबकी चेतना का संजीव नाम है। श्रीराम भक्तों के ह्रदय में वास कर सुख सौभाग्य प्रदान करते हैं। कोरोना महामारी के दौर में भगवान राम का नाम लिखने के लिए तमाम रामभक्त श्रीराम बैंक से पुस्तिका ले जा रहे हैं। जनपद ही नहीं, विभिन्न प्रांतों के हिंदू-मुसलमान सभी लोग राम नाम लिखने की पुस्तक ले जाते हैं। एक कापी पर 11 हजार बार राम नाम लिखने के बाद रामभक्त हनुमानजी के बारह नाम का ग्यारह बार जप करते हैं। श्रीराम बैंक के संस्थापक महेंद्र पांडेय ने बताया कि कोरोना काल में अब तक 12 हजार राम नाम पूंजी बैंक में जमा हुई है। बैंक में कुल 41 हजार खाताधारक हैं। गीता प्रेस, दिल्ली व हरिद्वार की पुस्तकें भी रामभक्त यहां लाकर जमा करते हैं। राम नाम लिखने के लिए बैंक से पुस्तक व लाल कलम दी जाती है। कोरियर से भी भेजी जाती है पुस्तिका विंध्याचल में सात वर्ष पूर्व यानी 2014 से प्रभु श्रीराम बैंक चल रहा है। इस अनूठा बैंक में रुपया नहीं जमा होता सिर्फ राम नाम रूपी धन जमा किया जाता है। बैंककर्मी लोगों से राम नाम की पुस्तिका छपवाकर सहयोग प्राप्त करते हैं। राम नाम लिखने के लिए दूर-दराज के भक्तों को भी कोरियर से पुस्तिका भेजी जाती है। श्रीराम बैंक का बूढ़ेनाथ में एक और ब्रांच है। यहां से भी लोग पुस्तक ले रहे हैं। भक्ति मार्ग पर प्रगति करने की अद्भुत कला है राम नाम लेखन पूर्व विद्यालय निरीक्षक स्व. कृष्ण कुमार मिश्र प्रभु श्रीराम बैंक के पहले खाताधारक थे। इसके बाद स्व. सुरेश चंद बरनवाल बैंक से राम नाम लिखने के लिए पुस्तिका प्राप्त किया था। इस समय इनका पूरा परिवार श्रीराम बैंक का खाताधारक है और सभी लोग बैंक से पुस्तिका लेकर राम नाम लिखते हैं। उनका कहना है कि भक्ति मार्ग पर प्रगति करने की यह अद्भुत कला है। सुख-शांति के लिए राम का नाम लिखते हैं। प्रभु श्रीराम बैंक के संस्थापक महेंद्र पांडेय ने बताया कि शिवराम शर्मा, अध्यापक राकेश कुमार शुक्ला, प्रोफेसर शशिधर शुक्ला, मंडलायुक्त के नाजीर मनोज कुमार, रामलाल साहनी, स्मृति बिहानी, नगर विधायक रत्नाकर मिश्रा के सहयोग से यह बैंक चल रहा है। हिन्दुस्थान समाचार/गिरजा शंकर

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