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विशेषज्ञों ने राई-सरसों के वैज्ञानिक खेती व उसके फायदा के बारे में किसानों को दी जानकारी

- बीएचयू, भारतीय कृषि अनुसंधान और राई सरसों अनुसंधान निदेशालय के अफसरों ने दी किसानों को जानकारी वाराणसी,03 फरवरी (हि.स.)। जलवायु परिवर्तन और दिनों-दिन कम हो रही कृषि उपजाऊ जमीन में कम लागत में अधिक मुनाफा वाले फसल को उगाने पर कृषि विशेषज्ञ अधिक जोर दे रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मृदा प्रकार के आधार पर सोनभद्र क्षेत्र में सरसो की खेती अच्छी हो सकती है। किसान धान-गेहूं की तुलना में राई-सरसो की फसल तैयार करें। इसमें कम उर्वरक एवं सिंचाई की आवश्यकता होती है। साथ ही रख-रखाव की जरूरत भी कम होती है। बुधवार को सोनभद्र जिले के चतरा ब्लाक के सौ अनुसूचित जनजातीय किसानों को ये जानकारी दी गई। कृषि विज्ञान संस्थान काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सरसो अनुसंधान प्रक्षेत्र में राई-सरसो के आधुनिक उत्पादन तकनीकी के बारे में किसानों को विस्तृत रूप से बताया गया। कृषि एवं किसान मंत्रालय तथा भारतीय कृषि अनुसंधान, राई सरसों अनुसंधान निदेशालय भरतपुर द्वारा पोषित कार्यक्रम में बीएचयू के माध्यम से चलाये जा रहे जनजातीय उपयोजना का उद्घाटन संस्थान के निदेशक प्रो. रमेश चंद ने किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के समय में राई-सरसों तक उत्पादकता में स्थाईत्व, फसलचक्र में विविधता तथा फसल सघनन के द्वारा किसानों का आयवर्धन करने वाली फसल है। संकाय प्रमुख प्रो. एपी सिंह ने सरसों की खेती पर खासा जोर दिया। संस्थान के आचार्य डा. जय प्रकाश लाल ने उन सरकारी कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला। जिससे उत्तर प्रदेश के सरसों के किसान लाभ प्राप्त कर सकते हैं। प्रोफेसर कार्तिकेय श्रीवास्तव जो इस जनजातीय उप परियोजना के प्रोजेक्ट लीडर हैं, उन्होंने बताया कि इस वर्ष लगभग दो सौ से अधिक किसानों को सामान्य प्रजातियों से डेढ़ गुना अच्छी उपज देने वाली उन्नत किस्म गिरीराज तथा आर0 एच0 749 किस्म वितरित किया गया है। जिसमें तेल की मात्रा 40.42 प्रतिशत तक होती है। पुरानी किस्मों में यह मात्र 35 प्रतिशत तक होती थी। इन किस्मों से उत्तर प्रदेश के किसानों में काफी उत्साह है। डॉ0 राजेश कुमार सिंह ने कृषि प्रक्षेत्र में राई-सरसो फसल मे चल रहे नवीन सस्य प्रणाली तथा संस्तुतियों के विषय में विस्तृत जानकारी दी। प्रोफेसर अनुपम नेमा ने सरसो की खेती में उपयोग होने वाले नये तथा कम लागत वाले कृषि उपकरणों का प्रदर्शन किया। प्रो. बिरेंची कुमार शर्मा ने कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीवों के विषय में बताया तथा जनजातीय किसानो को ट्राईकोडर्मा कल्चर वितरित किया। इस अवसर पर इन किसानों को जैविक खाद, कृषि रसायन तथा सरसों उत्पादन से संबंधित प्रसार सामग्री वितरित की गयी। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर-hindusthansamachar.in

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