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बैंकों के निजीकरण से नुकसान की जानकारी देंगे कर्मचारी, चार अप्रैल को संगोष्ठी

लखनऊ, 20 मार्च (हि.स.)। राष्ट्रीय स्तर पर बैंकों के निजीकरण की तैयारी के खिलाफ उत्तर प्रदेश में बैंक के कर्मचारियों के बेहद रोष व्याप्त है। इसको देखते हुए भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश कार्यालय पर विभिन्न बैंकों के कर्मचारियों ने एक बैठक की और जनमानस को बैंकों के निजीकरण से होने वाले नुकसान के सम्बन्ध में जानकारी देने की बात कही। बैठक में चार अप्रैल को भारतीय मजदूर संघ के ही प्रदेश कार्यालय के सभागार में वृहद स्वरुप में संगोष्ठी करने का फैसला किया गया। संगोष्ठी में प्रदेश में सक्रिय तमाम बैंक यूनियनों के पदाधिकारियों को आमंत्रित किया गया है। संगोष्ठी के माध्यम से बैंकों के निजीकरण से जनमानस को होने वाले नुकसान पर सभी यूनियन पदाधिकारी अपनी बात रखेंगे। इसी के साथ जनमानस के बीच संगोष्ठी के विषय को ले जाया जायेगा। कैसरबाग स्थित संघ के प्रदेश कार्यालय पर हुई बैठक में बैंक आॅफ बड़ौदा के मनमोहन दास, यूबीआई के प्रभाकर अवस्थी, बैंक आॅफ इंडिया के आदित्य नारायण कुलश्रेष्ठ, यूनियन बैंक आॅफ इंडिया के अंशुमान पांडेय सहित विभिन्न बैंकों के संतोष सिंह, दीपसागर, विवेक मिश्रा, दिवाकर सिंह शिकरवार और बीएमएस के अभय द्विवेदी मौजूद रहे। बैठक में नेशनल आर्गनाइजेशन आॅफ बैंक वर्करस् के जोनल सचिव मनमोहन दास ने कहा कि देश में निजीकरण की बात हो रही है। इसका असर देश के अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। निजीकरण का सीधा असर आम जनमानस पर पड़ने वाला है। बैंक का कर्मचारी तो इसके प्रभाव में आयेगा ही, साथ में जनता भी इससे प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों में अभी नीति बदलाव कर के तीन तीन बैंकों को एक समूह बना दिया गया। अभी बचे हुए सरकारी बैंकों को निजीकरण करने की बात चल रही है। सिर्फ बैंक स्तर पर यह समस्या नहीं है, बीएसएनएल, एमटीएनएल, रेलवे को भी निजी हाथों में देने की तैयारी है। इससे लम्बे समय से विभागीय सेवा दे रहे कर्मचारी के हाथों से काम छीन जायेगा। पेंशन व भविष्य निधि की भी समस्या होगी। हिन्दुस्थान समाचार/शरद/संजय

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