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गौना कराने आये बाबा विश्वनाथ का राजसी श्रृंगार देख श्रद्धालु निहाल, 11 ब्राम्हणों ने किया रुद्राभिषेक

वाराणसी, 24 मार्च (हि.स.)। गौना कराने ससुराल आये काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ का रंगभरी एकादशी पर बुधवार को विधि विधान से पूजन अर्चन किया गया। भोर में 11 वैदिक ब्राह्मणों ने रुद्राभिषेक किया। अलसुबह ही शिव-शक्ति की रजत प्रतिमाओं को पंचगव्य से स्नान कराने का साथ षोडषोपचार पूजन किया गया। इसके बाद महंत परिवार की महिलाएं मंगल गीत गाते हुए श्रीकाशी विश्वनाथ दरबार पहुंचीं और बाबा की आंखों में लगाने के लिए मंदिर के खप्पड़ से काजल लिया। इसे महंत आवास पर लाकर गौरा के माथे पर सजाने के लिए सिंदूर परंपरानुसार अन्नपूर्णा मंदिर के मुख्य विग्रह से लाया गया। शिव-पार्वती के विग्रह को महंत आवास के भूतल स्थित हाल में विराजमान कराया गया और भोग अर्पित किया गया। चल प्रतिमाओं का राजसी श्रृंगार के बाद भोग लगाकर महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने विधि विधान से महाआरती की। इसके बाद दरबार का पट दर्शन पूजन के लिए खुल गया। शिव परिवार का दर्शन पूजन के लिए महंत आवास में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। लोग शिव परिवार के राजसी स्वरूप का दर्शन पाकर निहाल हो गये। अपराह्न में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. राजेश्वर आचार्य ने शिवांजलि महोत्सव का उद्घाटन किया। महोत्सव में गायक डॉ. अमलेश शुक्ल सहित पूर्वांचल के विभिन्न जिलों से आए कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी। शाम को बाबा विश्वनाथ अपने परिवार को विदा करा कर ले जायेंगे। महंत आवास से रजत पालकी यात्रा निकलेगी जो श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर तक जाएगा। पूरे राह बाबा के भाल पहला गुलाल सजाकर काशीवासी उनसे होली खेलने की अनुमति पाएंगे। इस दौरान पूरे राह अबीर गुलाल की बारिश से गुलाल की रेड कार्पेट बिछने जैसा नजारा दिखेगा। बाबा विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में शिव परिवार के रजत विग्रह को विराजमान करा कर लोकाचार की परम्परा का निर्वहन होगा। मंदिर प्रशासन की ओर से इस खास मौके पर संगीतमय शिवार्चन भी देर शाम आयोजित किया गया है। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/संजय

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