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छात्र अनुशासन एवं सहभागिता से समाज व देश का करें विकास : आनन्दी बेन पटेल

बांदा, 08 अप्रैल (हि.स.)। जल की समस्या एक विकराल समस्या है, इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। प्राकृतिक संसाधनों का दोहन मुख्य कारण है। कृषि में जलवायु एवं उसके अनुकूल फसलों का चुनाव हमें स्वालम्बी बना सकता है। किसान भाई एवं कृषि वैज्ञानिक इस चुनौती को स्वीकार कर आगे बढने का प्रयास करें। यह बातें, कृषि विश्वविद्यालय, बांदा के कुलाधिपति एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंन्दी बेन पटेल ने बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय बांदा का षष्ठम दीक्षांत समारोह में ऑनलाइन अध्यक्षीय भाषण में कही।, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से बुन्देलखण्ड परिक्षेत्र के दृष्टिगत कई परियोजनाएं चलायी जा रही है। कृषि में कौशल विकास के लिए प्रयास करना समय की मांग है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ दोनों लोगों का प्रयास प्रायोगिक कृषि शिक्षा पर बल देना है। आज सभी डिग्री एवं पदक प्राप्त किये हुए छात्र देशहित में कृषि के क्षेत्र को आगे बढ़ाये। वर्तमान मेें हम सभी का दायित्व है कि छात्रों को अच्छे संस्कार दे जिससे हमारी संस्कृति बच सकें। मैं उन सभी छात्र व छात्राओं को बधाई देती हूं, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत एवं अनुशासन में रहकर डिग्री प्राप्त की है। साथ ही यह आशा करती हूं कि वो अपने ज्ञान व अनुभव से कृषि के क्षेत्र को आधुनिक बनाने में मदद करेंगे। कुलाधिपति ने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति एवं समस्त विश्वविद्यालय परिवार को बधाई दी। साथ ही उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने विगत वर्षों में शिक्षा, शोध व प्रसार में गुणवत्ता पूर्वक कार्य किया है। कृषि विज्ञान केन्द्रों के द्वारा प्रवासी मजदूरों को प्रशिक्षित कर उन्हें रोजगारोंन्मुखी बनाना सराहनीय प्रयास है। वर्षा जल संचयन पर किया जा रहा कार्य सकारात्मक परिणाम देगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि देश के जाने-माने कृषि वैज्ञानिक डॉ. मंगलाराय ने अपने वर्चुअल संबोधन में कहा कि, यह विश्वविद्यालय बहुत तेजी से प्रगतिकर रहा है। डॉ. गौतम के निर्देशन में विश्वविद्यालय शिक्षा, शोध व प्रसार में सराहनीय कार्य कर रहा है। बुन्देलखण्ड परिक्षेत्र में कृषकों को बीज उपलब्ध कराने के लिए बीज उत्पादन एक सराहनीय कदम है। बुन्देलखण्ड के जैव विविधा के दृष्टिगत संरक्षण पर भी विशेष ध्यान देना आवश्यक है। वैज्ञानिकों के द्वारा तिल, अलसी की प्रजाति का विकास एक सराहनीय कदम है। अन्तरराष्ट्रीय बाजार में सफेद तिल की मांग को बुन्देलखण्ड से पूरा किया जा सकता है। दीक्षांत समारोह में पदक प्राप्त करने वाले विभिन्न छात्र, जिसमें कृषि स्नातक की छात्रा कु. निधी चौहान को स्वर्ण पदक, छात्र सोयल कुमार को रजत पदक तथा छात्र शैलेन्द्र सिहं को कास्य पदक प्रदान किया गया। उद्यान स्नातक के छात्र रूद्रप्रताप मिश्रा को स्वर्णपदक, अवनिश राठौर को रजत पदक तथा राममिलन को कास्य पदक प्रदान किया गया। कृषि परास्नातक वर्ग में कु. शिखा दुबे को कुलपति स्वर्णपदक, चंद्रकान्त चौबे कुलपति रजतपदक तथा अनुज मिश्रा को कुलपति कास्य पदक तथा उद्यान वर्ग में मृत्युजंय राय को कुलपति स्वर्णपदक, सेतु कुमार कुलपति रजत पदक तथा आदर्श तिवारी को कुलपति कास्य पदक प्रदान किया गया। दीक्षान्त समारोह के विशिष्ट अतिथि मंत्री कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान सूर्यप्रताप शाही ने अपने वक्तव्य में कहा कि पशुधन एवं कृृषि विकास के लिए विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी है। हमें यह कहते हुए गर्व है कि अनुभूति हो रही है कि विश्वविद्यालय, यहां के कुलपति डा. यू.एस. गौतम के नेतृत्व में यह विश्वविद्यालय अपने उद्देश्यों की प्राप्ति कर रहा है। विश्वविद्यालय के कुलपति डा. यू.एस. गौतम ने विश्वविद्यालय प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत की। उपाधि धारक सभी छात्रों को कुलपति द्वारा दीक्षोपदेश दिलवाया। प्रोफेसर पंवार द्वारा कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए सभी अतिथियों का आभार प्रगट किया। हिन्दुस्थान समाचार/अनिल

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