बुवि : साली को टॉप कराने में कंप्यूटर साइंस विभागाध्यक्ष तीन साल के लिए डिबार
बुवि : साली को टॉप कराने में कंप्यूटर साइंस विभागाध्यक्ष तीन साल के लिए डिबार

बुवि : साली को टॉप कराने में कंप्यूटर साइंस विभागाध्यक्ष तीन साल के लिए डिबार

- जांच समिति की रिपोर्ट के बाद कुलपति ने सुनाया फैसला झांसी, 11 जून (हि.स.)। बुंविवि में समय समय पर शिक्षक की गरिमा को शर्मसार करने वाली घटनाएं सामने आती रही हैं। कभी फर्जी मार्कशीट को लेकर तो कभी किसी अन्य मामले में। लेकिन इस बार मामला कुछ हटकर है। इस नये मामले ने यहां उच्च शिक्षा में बड़े पैमाने पर चल रही अव्यवस्थाओं की पोल खोल कर रख दी है। हुआ यूं कि कंप्यूटर साइंस के विभागाध्यक्ष ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए अपनी साली को टॉप करा डाला। इसके चलते साली तो खुश हो गई लेकिन मामले की शिकायत कुलपति तक जा पहुची। फिर क्या था कुलपति ने आनन फानन जांच समिति बैठाते हुए रिपोर्ट आने के बाद कंप्यूटर साइंस के विभागाध्यक्ष को तीन साल के लिए डिबार कर दिया। विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस के विभागाध्यक्ष डॉ विक्रम निरंजन ने उन्हीं के विभाग में अध्ययनरत अपनी साली को परीक्षा में अनुचित सहायता देते हुए न केवल पेपर स्वयं तैयार किया बल्कि उसके पेपर का मूल्यांकन भी स्वयं ही करते हुए उसे 100 के पूर्णांक में से 91वें नंबर भी दे डाले। और इस तरह उसको टॉप भी करा दिया। इस मामले की शिकायत किसी तरह कुलपति प्रो.वैशंपायन के पास तक जा पहुंची। परीक्षा कार्याें से तीन साल के लिए डिबार इस मामले में जानकारी देते हुए परीक्षा नियंत्रक अजयकृष्ण यादव ने बुधवार को बताया कि मामलेेे के संज्ञान मे आते ही कुलपति प्रो.जेवी वैशम्पायन ने जांच समिति गठित कर दो दिन में मामले की रिपोर्ट तलब कर ली। समिति ने जांच के बाद रिपोर्ट कुलपति को सौंपी। जांच रिपोर्ट में डॉ निरंजन को परीक्षा आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया गया। इस पर कुलपति ने डॉ निरंजन के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए उनको तीन साल के लिए परीक्षा संबंधी सभी कार्यों से अलग कर दिया। किसी प्रो.का संबंधी छात्र हो तो प्रो. नहीं कर सकता प्रश्नपत्र तैयार डॉ निरंजन के खिलाफ शिकायत पर की गई जांच में सभी आरोप सही साबित हुए। उत्तर पुस्तिका के पुनर्मूल्यांकन में भी यह बात साबित हुई। नियमानुसार अगर किसी प्रोफेसर का कोई निकट संबंधी छात्र है तो प्रोफेसर प्रश्नपत्र तैयार नहीं कर सकता न ही उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन करने का वह अधिकार रखता है। हालांकि डा.निरंजन ने इन सारे नियमों को धता बताकर साली को टाॅप कराया था। जिला प्रशासनिक स्तर से भी होगी जांच बताया जा रहा है कि इस पूरे प्रकरण की जांच में डा. निरंजन को दोषी करार दिए जाने के बाद अब जिला प्रशासनिक स्तर से भी जांच शुरू हो गई है। इसकी रिपोर्ट बाद में आएगी। फिलहाल विश्वविद्यालय में यह मामला खूब चर्चाओं में है। हिन्दुस्थान समाचार/महेश/मोहित-hindusthansamachar.in

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