Court does not have the right to interfere after revaluation: High Court
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पुनर्मूल्यांकन के बाद अदालत को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं : हाईकोर्ट

प्रयागराज, 14 जनवरी (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी व्यवसायिक पाठ्यक्रम के विषय का पुनर्मूल्यांकन एक बार विशेषज्ञों द्वारा किए जाने के बाद अदालत को उसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। जब तक कि इस सम्बंध में कोई नियम न हो। अदालत विशेषज्ञों के फैसले को अपने निर्णय द्वारा बदल नहीं सकती है। विशेषज्ञों की राय पर भरोसा करना ही होगा। केडी डेंटल कॉलेज मथुरा के डेंटल सर्जरी के छात्र विश्व वैभव की याचिका खारिज करते हुए यह निर्णय न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने दिया। याची का कहना था कि उसने अपनी पढ़ाई में बहुत बढ़िया प्रदर्शन किया। मगर अंतिम परीक्षा में दो पेपर में उसे फेल कर दिया गया। उसने पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया। पुनर्मूल्यांकन में उसे मिले अंकों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। याची को पूरा भरोसा है कि उसकी उत्तर पुस्तिका सही तरीके से मूल्यांकन नहीं किया गया है। इसलिए एक बार फिर से मूल्यांकन का आदेश दिया जाए। जबकि कॉलेज के अधिवक्ता का कहना था कि एक बार पुनर्मूल्यांकन हो गया तो बिना किसी नियम के दुबारा पुनर्मूल्यांकन नहीं कराया जा सकता। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि याची कोई ऐसा नियम नहीं बता सका कि एक बार पुनर्मूल्यांकन हो जाने के बाद उसका दुबारा भी पुनर्मूल्यांकन कराया जा सकता है। यह मामला मेडसिन की विशेषज्ञ शाखा से जुड़ा है। इस अदालत के पास ऐसी कोई विशेषज्ञता नहीं है जिससे वह यह निर्धारित कर सके कि याची सही है अथवा पुनर्मूल्यांकन करने वाले विशेषज्ञ। अदालत के लिए यह उचित नहीं होगा कि वह खुद को विशेषज्ञ मानते हुए विशेषज्ञों द्वारा किए काम को फिर से करने का आदेश दे। इस स्थिति में विशेषज्ञों की राय पर ही भरोसा करना होगा। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन-hindusthansamachar.in

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