कोरोना जंग जीती और अब रात दिन कर रहे सेवा

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रायबरेली, 26 अप्रैल (हि.स.)। कोरोना के बढ़ते खतरों के बीच कई ऐसे जाबांज काम कर रहे हैं जो कुछ समय पहले ही इस खतरे से निकले हैं। ये लोग अपनी चिंता छोड़ दूसरों को बचाने में जुटे हैं। ऐसे ही एक कोरोना योद्धा है बछरावां के सीएससी में तैनात डॉ.प्रभात मिश्रा हाल ही में कोरोना पॉजिटिव हुए थे और इस संक्रमण से कुछ दिन पहले स्वस्थ होकर लौटे हैं। कोरोना को मात देकर लौटे डॉ मिश्रा अब अपने मरीजों की देखभाल में दिन रात एक किये हुए हैं। उनकी प्राथमिकता उनके मरीज हैं। परिवार से दूर वह अपने कर्तव्यों को निभाने में जुटे हैं। दरअसल डॉ. मिश्रा बछरांवा में तैनाती के दौरान संक्रमित हो गए थे लेकिन कुछ दिनों बाद जब वह स्वस्थ हुए। लेकिन उन्होंने छुट्टी का आवेदन नही किया और अपने काम पर लौट आये।अब वह अपना सारा समय कोविड व सामान्य मरीजों की देखभाल में लगा रहे हैं। उनके परिवार में पत्नी हर्षिता व दो छोटे बच्चे हैं, परिवार से मिलने वह सप्ताह में एक या दो घंटे के लिए ही जाते हैं। अपने कर्तव्य को धर्म मानकर काम करने वाले डॉ. मिश्रा कहते हैं संकट के समय मरीजों के पास खड़ा रहना ही उन्हें अपनापन का एहसास दिलाता है जो कोरोना की असली दवा है। डॉ. मिश्रा कहते हैं "हौसला अफजाई है कोरोना की दवा" संक्रमण के इस दौर में दवा से ज्यादा मरीजों को हौसले की जरूरत है। उनका कहना है कि जितनी तेजी से संक्रमण फैल रहा है उतनी ही तेजी से लोग ठीक भी हो रहे हैं। डॉक्टर द्वारा निर्देशित दवायें और प्रोटोकॉल का पालन बहुत जरूरी है लेकिन इन सबसे ज्यादा जरूरी है कि मरीजों के मनोबल को बनाये रखा जाय। उन्हें सकारात्मक बनाये रखना कठिन है लेकिन यह जरूरी है। इसका असर इमन्युटी पर भी पड़ता है। यदि दवा के साथ साथ मरीजों के मनोबल को बढ़ाने में कामयाब हो गए तो मरीज जल्दी स्वस्थ हो सकेंगे। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीश/विद्या कान्त

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