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पर्यटन उद्योग के विकास में भी होगी संचार तकनीकी की महत्वपूर्ण भूमिका : कुलपति

- प्रो. काबिया व डा. श्रीनिवासन द्वारा लिखित पुस्तक का किया विमोचन झांसी, 21 फरवरी (हि.स.)। सूचना एवं संचार तकनीकी मानव जीवन को प्रभावित करने वाली तकनीकों में सर्वाधिक प्रभावशाली है परन्तु कोविड-19 के पश्चात पर्यटन उद्योग के विकास में सूचना एवं संचार तकनीक की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उक्त विचार रविवार को बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.जे.वी.वैशम्पायन ने व्यक्त किये। कुलपति प्रो.जे.वी.वैशम्पायन आज विश्वविद्यालय के पर्यटन एवं होटल प्रबन्धन संस्थान के शिक्षकों डा.जी.के श्रीनिवासन तथा प्रो.सुनील कुमार काबिया द्वारा लिखित ई-मार्केटिंग स्ट्रैटेजीस् फाॅर डेस्टिनेशन प्रामोशन नामक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। कुलपति ने कहा कि कोविड-19 के कारण हमारे जीवन में एक अभूतपूर्व परिवर्तन आ गया है जिसके कारण विशेष रूप से पर्यटन व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ हैं तथा इससे हमारे देश की आर्थिक और वित्तीय स्थिति में गिरावट आई है, लेकिन इस महामारी के दौरान सूचना और संचार तकनीकी के उपकरणों का उपयोग कर पर्यटन उद्योग कोबिड के बाद अपने पैर जमारने के लिए प्रयास कर रहा है। उन्हांेने आशा व्यक्त की तथा कहा कि इस परिप्रेक्ष्य में लेखक द्वय के द्वारा लिखित यह पुस्तक पर्यटन तथा यात्रा व्यवसाय के छात्र छात्राओं तथा पर्यटन क्षेत्र से जुडे व्यवसाईयों के लिए के लिए महत्वपूर्ण एवं लाभकारी सिद्ध होगी। इस दौरान पुस्तक के लेखक प्रो.सुनील काबिया ने बताया कि भविष्य में पर्यटन उद्योग पूरी तरह सूचना और संचार तकनीकी पर निर्भर हो जायेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में टेलीकम्यूनिकेशन और ऑनलाइन मार्केटिंग मानव जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। पर्यटन उद्योग में आनलाईन प्रौद्योगिकी का उपयोग काफी समय से चल रहा है, परन्तु पोस्ट कोविड काल में डैस्टिनेशन मार्केटिंग का चलन बढेगा तथा छात्र-छात्राओं को आवश्यक ज्ञान प्रदान करने के लिए इस पुस्तक का लेखन किया गया हैं। प्रो.काबिया ने आशा व्यक्त की कि यह पुस्तक पर्यटन के छात्र छात्राओं के लिए एक सूचना तथा ज्ञान का महत्वपूर्ण स्रोत होगी साथ ही पुस्तक एक ट्रैवल एजेंट तथा टूर ऑपरेटर को होने वाली विभिन्न परेशानियों को ध्यान में रखते हुए उन्हें ऑनलाइन व्यवस्था के उपयोग करने के लिए प्रेरित करेगी। उन्होंने बताया कि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियों, डेस्टिनेशन प्लानर और नीति निर्माताओं के द्वारा ई-मार्केटिंग रणनीतियों के उपयोग से सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए सुझाए गए निष्कर्षों और मॉडल का उपयोग कर सकते हैं। चूंकि पुस्तक ई-पर्यटन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती है और पर्यटन, विपणन और आईसीटी पर बुनियादी ज्ञान प्रदान करती है। प्रो.सुनील कुमार काबिया के अनुसार भारत में ई-पर्यटन के वर्तमान परिदृश्य की खोज करने वाली यह पुस्तक केरल और तमिलनाडु के पर्यटन सौंदर्य का विस्तृत विवरण प्रदान करती है। इसमें ई-मार्केटिंग रणनीतियों का एक विषद मूल्यांकन किया जाता है। इसके अतिरिक्त गंतव्य के ई-मार्केटिंग में सरकारी एजेंसियों के संस्थानों और निजी व्यवसाईयों की रणनीतियों का एक व्यापक विश्लेषण भी किया जाता है। तकनीकी संसाधनों के उचित उपयोग की पहचान करने के लिए ऑनलाइन बुकिंग साइकिल (ओबीसी) मॉडल का सुझाव दिया गया है। अंत में वेबसाइटों के माध्यम से गंतव्य प्रचार के लिए एक रणनीतिक रूपरेखा की सिफारिश की गई है। वहीं, पुस्तक के सहलेखक डा.जी.के.श्रीनिवासन ने जानकारी दी कि सोशल वेबसाइटों के असाधारण उपयोग ने प्रचार गतिविधियों को बहुत आसान बना दिया है तथा वर्तमान में यह स्पष्ट को गया है कि तकनीकी संसाधनों के उचित उपयोग से ही किसी भी व्यवसाय और विशेष रूप से पर्यटन क्षेत्र का समुचित विकास सम्भव है। पर्यटन और आतिथ्य का व्यवसाय उत्पाद सेवा आधारित हैं, इसलिए पर्यटन और गंतव्य प्रचार व्यावसायिक गतिविधियों को भी तकनीकी सहायता की बहुत आवश्यकता होती है। यही कारण है कि लेखकों द्वारा गंतव्य संवर्धन के लिए ई-मार्केटिंग रणनीतियों के उपयोग के अध्ययन की आवश्यकता महसूस की गई जो पुस्तक के रूप मे पाठकों के सम्मुख है। पुस्तक के दोनों लेखक प्रो.सुनील कुमार काबिया तथा डा.जी.के. श्रीनिवासन बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय परिसर के पर्यटन एवं होटल प्रबन्धन संस्थान में अध्यापनरत हैं। प्रो.काबिया का पर्यटन तथा होटल प्रबन्धन के क्षेत्र में शिक्षण तथा प्रशिक्षण का 20 से अधिक वर्षो का अनुभव है। प्रो. काबिया इससे पूर्व भी आर्गेनाजेशनल हैल्थ आफ ट्रैवल ऐजेन्सी बिजेनिस नामक पुस्तक के लेखक है। विमोचित पुस्तक की भूमिका स्वयं बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.जे.वी.वैशम्पायन ने लिखी है। हिन्दुस्थान समाचार/महेश

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