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मुख्यमंत्री की सदन में भाषा अहंकार की सतही मनोदशा का सूचक : अखिलेश

-कहा, आरोप-प्रत्यारोप और धमकी का राजनीति में कोई स्थान नहीं लखनऊ, 27 फरवरी (हि.स.)। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विपक्ष को लेकर इस्तेमाल किये गये शब्दों पर नाराजगी जताई है। उन्होंने शनिवार को कहा कि लोकराज लोकलाज से चलता है। मुख्यमंत्री द्वारा सत्ता का दुरुपयोग, ठोक दो, ऐसा डोज दूंगा कि दर्द दूर हो जाएगा, जैसी भाषा का प्रयोग अहंकार की सतही मनोदशा का सूचक है। जनता सब देख रही है। अखिलेश ने कहा कि सदन से सड़क तक भाजपा के चाल चरित्र का वास्तविक चेहरा सामने आ चुका है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में भाषा और आचरण का जो ह्रास दिखाई दे रहा है, वह चिंतनीय है। आरोप-प्रत्यारोप और धमकी का इसमें कोई स्थान नहीं हो सकता है। सपा अध्यक्ष ने कहा कि जो राजनीति में हैं उन्हें विशेषकर सावधानी बरतनी चाहिए और सार्वजनिक जीवन की गरिमा बनाए रखनी चाहिए। लेकिन, इधर लोकतंत्र के मंदिर विधानमण्डल में सार्वजनिक तौर पर जिस भाषा और व्यवहार का प्रदर्शन किया गया वह लोकतांत्रिक मान्यताओं की गरिमा को गिराने वाला है। लोकशाही में एकाधिकारी मानसिकता का प्रदर्शन अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और अवांछनीय है। अखिलेश यादव ने कहा कि वहीं यह बात समझ से परे है कि भाजपा किसानों से क्यों नफरत करती है? किसान महीनों से अपनी मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। केन्द्र सरकार ने अब तक किसानों के साथ वार्ता कर समस्या के समाधान की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा अब अपने संकल्प पत्र के वादे भी भूल गई है। जनप्रतिनिधि जब जनता की दिक्कतों के बारे में सवाल उठाते हैं और भाजपा से उनके वादों के बारे में जवाब मांगते है तो भाजपा भड़क जाती है। आखिर जनता का सामना करने से भाजपा क्यों कतराती है? जनता को डराने वाली भाजपा अब खुद चुनाव में जाने से पहले डर रही है। सपा अध्यक्ष ने कहा कि लोकतंत्र में जनता के पास ही पूरी ताकत होती है और उसी के वोट से सरकारें बनती-बिगड़ती हैं। सत्ता के मद में जनता की अनदेखी करना भाजपा के लिए बहुत भारी पड़ेगा। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/दीपक

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