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मुख्यमंत्री योगी ने डॉ. कन्हैया की पुस्तक 'काली मिट्टी पर पारे की रेखा' का किया लोकार्पण

- डॉ. कन्हैया ने अपनी लेखनी के माध्यम से हिन्दी साहित्य को नई दिशा दी लखनऊ, 17 फरवरी (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि डॉ. कन्हैया सिंह गोरक्षपीठ की परम्परा से गहराई से जुड़े हैं। उन्होंने जिस क्षेत्र में कार्य किया है, वह अत्यंत अभिनंदनीय है। पेश से विधि प्रवक्ता के रूप में सार्वजनिक जीवन की शुरुआत करने वाले डॉ. कन्हैया सिंह क्रमशः साहित्यिक सामाजिक गतिविधियों को उत्तरोतर आगे बढ़ाते रहे हैं। उन्होंने अपने को कभी भी छुपाया नहीं, वे जैसे थे वैसे ही अपने को प्रस्तुत किया। हिन्दी साहित्य क्षेत्र में उन्होंने नए-नए कदम बढ़ाते हुए अपने आप को स्थापित किया और अपनी लेखनी के माध्यम से इस क्षेत्र को भी नई दिशा दी। मुख्यमंत्री बुधवार को वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कन्हैया सिंह का अभिनन्दन एवं उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केन्द्रित अभिनन्दन ग्रंथ 'काली मिट्टी पर पारे की रेखा' का अपने सरकारी आवास में आयोजित लोकार्पण कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस अवसर पर डॉ. कन्हैया द्वारा सृजित तीन पुस्तकें - आलोचना के प्रत्यय, इतिहास और विमर्श, गोरखनाथ जीवन और दर्शन तथा संस्मरणों का आलोक का भी लोकार्पण हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. कन्हैया से उनका संवाद करीब 28 वर्षों से है। वे केवल एक साहित्यकार ही नहीं हैं, बल्कि समाजसेवी भी हैं। जनपद आजमगढ़ में इन्होंने अभिनंदनीय कार्य किए हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. कन्हैया आजमगढ़ नगर पालिका के अध्यक्ष रहे, साथ ही उन्होंने उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है। उनकी अनेक साहित्यिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय चिंतन के मंचों पर सशक्त उपस्थिति रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने भी डॉ. कन्हैया की अनेक कृतियों का अवलोकन किया है। इन्होंने जिस क्षेत्र में भी कार्य किया, उसे पूरी तन्मयता से किया है। इन्होंने साहित्य साधना के प्रति निष्ठा को व्यक्त करने में किसी भी प्रकार का संकोच नहीं किया है। कार्यक्रम में विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि जिस देश के सर्जक जितना काम करते हैं, उसे देश की संस्कृति उतनी ही अधिक ज्ञानवर्द्धक होती है। हमारे देश की साहित्य परम्परा अत्यंत समृद्ध है। साहित्य मनीषियों को समय-समय पर स्मरण करते रहना चाहिए। हमारे देश की संस्कृति साहित्य से ही चलती है। हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. सदानन्दप्रसाद गुप्त ने कहा कि डॉ. कन्हैया सिंह एक निष्ठावान, सतत सक्रिय रचनाकार हैं। वे वास्तव में 'काली मिट्टी पर पारे की रेखा' की भांति भी साहित्य में अपनी उपस्थिति अंकित करते हैं। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कन्हैया सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का साहित्य-प्रेम अद्भुत है और उसकी सराहना चहुंओर हो रही है। हिन्दुस्थान समाचार/संजय-hindusthansamachar.in

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