हाईकोर्ट की सर्च वेबसाइट धराशायी, वकीलों ने की चीफ जस्टिस से हस्तक्षेप की मांग
हाईकोर्ट की सर्च वेबसाइट धराशायी, वकीलों ने की चीफ जस्टिस से हस्तक्षेप की मांग

हाईकोर्ट की सर्च वेबसाइट धराशायी, वकीलों ने की चीफ जस्टिस से हस्तक्षेप की मांग

प्रयागराज, 09 जुलाई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट कोविड-19 लाकडाउन के दौरान मुकदमों के ऑनलाइन दाखिले व सुनवाई की नित नयी सुविधाओं की घोषणा कर रहा है। वीडियो कान्फ्रेन्सिंग से सुनवाई की सुविधाएं मुहैया कराने के लिए हाईकोर्ट में ऐसी व्यवस्था की तैयारी की जा रही है, ताकि पूरी न्याय व्यवस्था ही ऑनलाइन हो जायेगी। किन्तु व्यवस्था में न्यायालय प्रशासन अपनी स्थापित तकनीकी व्यवस्था को भूल गया है। उसे सुदृढ़ करने के बजाय छिन्न भिन्न करता जा रहा है। वेबसाइट ठीक से काम नहीं कर रही है। मुकदमों के दाखिले की सूचना लचर वेबसाइट के कारण नही मिल पा रही है। जिसका खामियाजा अधिवक्ताओं और वादकारियों को भुगतना पड़ रहा है। उ.प्र बार काउन्सिल के पूर्व सदस्य एस.के गर्ग, आदर्श अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष एस.सी मिश्र, यंग लायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष कुमार त्रिपाठी व उपाध्यक्ष बी.डी पांडेय ने वेबसाइट दुरुस्त करने के मामले मे मुख्य न्यायाधीश से हस्तक्षेप करने की मांग की है। हाईकोर्ट महानिबंधक कार्यालय, अधिवक्ताओं को दाखिल याचिका की सुनवाई की तिथि सहित पूरी जानकारी एसएमएस से देता है। यह सूचना भारत सरकार के एएसजीआई कार्यालय को नहीं दी जाती। एएसजीआई कार्यालय केस की नोटिस लेकर भारत सरकार के वकीलों में केस आवंटित करता है। उन्हें हाईकोर्ट वेबसाइट पर पार्टी नाम या अधिवक्ता नाम से सर्च कर या वाद सूची डाउनलोड कर केस की स्थिति की जानकारी लेनी पड़ती है कि केस दाखिल हुआ या नहीं। मार्च से जून माह तक दी गयी नोटिस के दाखिले जुलाई में भी हो रहे हैं। जानकारी नहीं मिली तो अधिवक्ता कोर्ट में नहीं पहुंच पाते और केस सुनवाई मे गैर मौजूदगी का खामियाजा कोर्ट की नाराजगी से भुगतना पड़ता है। एएसजीआई कार्यालय ने ऐसे ही एक मामले में कोर्ट की टिप्पणी के बाद भारत सरकार के वकीलों को कोर्ट में बहस के लिए मौजूद रहने की नसीहत भी दी है। वकीलों की परेशानी यह है कि वेबसाइट ठीक से काम नहीं कर रही। केस कब दाखिल होगा, पता नहीं चल पाता। काजलिस्ट डाउन लोड कर रोज पता करते रहें। हाईकोर्ट की वेबसाइट पर पार्टी नाम, केस नंबर, लंबित केस पर नंबर व वर्ष, क्राइम केस नंबर, नये केस में वकील के नाम जैसे विकल्पों पर केस की स्थिति सर्च किया जा सकता है। किन्तु लाकडाउन मे वकील नाम या पार्टी नाम पर सर्च नहीं हो पा रहा है। शिकायत के बावजूद कोई सुधार नहीं किया गया न्यायिक अधिकारी संयुक्त निबंधक कम्प्यूटर से जब पूछा गया कि पार्टी नाम या अधिवक्ता नाम से केस सर्च क्यों नहीं हो पा रहा, तो उन्होंने अपने कार्यालय की नाकामी छिपाने के लिए बीएसएनएल के नेटवर्क को ही जिम्मेदार ठहरा दिया। किन्तु आश्वासन दिया कि वे व्यवस्था ठीक कराने का प्रयास करेंगे। कंप्यूटर विभाग का कोई इंचार्ज ही नहीं है। जो इंचार्ज पद पर नियुक्त है उनसे जांच के नाम पर 5 साल से काम ही नहीं लिया जा रहा है और न्यायिक अधिकारी कंप्यूटर विभाग संभाल रहे हैं, जिसके चलते पिछले दो साल से समस्या कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है। न्यायालय प्रशासन ने वीडियो कान्फ्रेन्सिंग से बहस की सुविधा दी है किन्तु आये दिन महानिबंधक को सुनवाई के समय पर लिंक न मिलने की वकीलों की शिकायतें भी मिल रही है। उनके केस में तारीख लग जा रही है। हाईकोर्ट की व्यवस्था दुरुस्त करने के बजाय कंप्यूटर विभाग शहर के विभिन्न हिस्सों में वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई व्यवस्था मे लगा हुआ है। न्यायालय परिसर में बरामदों में सेनेटाइजर मशीने रख दी गयी है किन्तु उनमें लिक्विड ही नहीं होता। कोविड 19 महामारी फैलने का भय वकीलों को सता रहा है। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/संजय-hindusthansamachar.in

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