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चौरी चौरा आन्दोलन अंग्रेजों की दमन नीति का प्रतीक : प्रो. बद्री नारायण

प्रयागराज, 04 फरवरी (हि.स)। किसी भी देश में एक ही इतिहास नहीं होता। किसी को हम किताबों में पढ़ते हैं और कुछ को जीते हैं। जनता का इतिहास अलग होता है, पाठ्य पुस्तकों का अलग। चौरी चौरा आंदेलन एक प्रतीक है अंग्रेजों की दमन नीति का, जनता के प्रतिरोध का, अंग्रेजों के विरूद्ध उठ रही आवाज का। यह बातें हिन्दुस्तानी एकेडमी में गुरूवार सायं 'चौरी चौरा' के बहाने आन्दोलन’ विषयक परिचर्चा में मुख्य वक्ता गोविन्दवल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान, प्रयागराज के निदेशक प्रो.बद्री नारायण ने सम्बोधित करते हुए कही। हिन्दुस्तानी एकेडेमी अध्यक्ष डॉ. उदय प्रताप सिंह ने कहा आज देश के बलिदानियों को याद करने का यह मौका चौरी चौरा आन्दोलन के शताब्दी वर्ष के रूप में आया है। उत्तर प्रदेश शासन ने शताब्दी महोत्सव के रूप में इस आन्दोलन को इस वर्ष मनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि 04 फरवरी 1922 में लोगों का शान्तिपूर्ण प्रदर्शन हो रहा था। उस प्रदर्शन पर अंग्रेजों ने गोली चलाई, जिसमें तीन लोग मारे गये। भीड़ भड़क उठी। लोग पुलिस थाने में घुस गये, आग लगा दी और 22 पुलिस कर्मी जल कर मर गये। मुख्य विकास अधिकारी, प्रयागराज आशीष कुमार ने कहा कि आज इस महोत्सव की शुरूआत शासन के पहल से हो चुकी है। इस आन्दोलन ने 04 फरवरी 1922 में जन्म लिया उसे हम चौरी चौरा काण्ड के रूप में जानते हैं। पर अब वह आन्दोलन के रूप में जाना जायेगा। यह ब्रिटीश इंस्टीट्यूशन को समाप्त करने का आन्दोलन था। यह सरकार द्वारा शहीदों को स्मरण करने का, नमन करने का तरीका है जो जनता से जुड़ेगा। पं.रामनरेश त्रिपाठी ने कहा कि हिन्दू मुस्लिम एकता के साथ स्वाधीनता आन्दोलन तेजी से आगे बढ़ता है। इस प्रयाग की धरती पर तमाम शहीदों से जुड़े स्मारक हैं। मदन मोहन मालवीय ने इस काण्ड में पकड़े गये 172 लोगों में से 153 लोगों को बचा लिया। मदन मोहन मालवीय की पहल से सिर्फ 19 लोगों को फांसी की सजा हुई। डॉ.युसुफा नफीस ने कहा हमने अपने बुजुर्गों की आँखों से स्वाधीनता संग्राम को देखा। पर हमारे आगे की पीढ़ी को भी हमारे इतिहास का सही सही ज्ञान मिलना चाहिए। अखिलेश मिश्रा ने कहा कि राजनीति में अच्छे लोगों को आना चाहिए। अच्छे लोगों का राजनैतिक चुनौतियों से मुँह फेर लेना भी राजनीति के लिए घातक है। आज हमें अपनी पूरी चेतना को लोकतांत्रिक करना होगा। हमें न जाति की बात करनी है, न धर्म की, न वर्ग की, हमें सबके लिए लड़ना है। संचालन डॉ. विनम्र सेन सिंह ने किया। कार्यक्रम में रामनरेश तिवारी ‘पिण्डीवासा’, डॉ.मानेन्द्र प्रताप सिंह, प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह, डॉ.अरूण त्रिपाठी, पियूष मिश्र ‘पीयूष’ आदि के साथ शहर के अन्य रचनाकार एवं शोध छात्र उपस्थित थे। हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त-hindusthansamachar.in

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