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चैत्र नवरात्र मंगलवार से पूरे नौ दिन तक, घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा

-21 अप्रैल को नवरात्र हवन, 22 को होगा व्रत का पारण -पहले दिन प्रतिपदा से ही हिंदू नव वर्ष यानि नव सम्वत्सर की भी शुरुआत -नवरात्र को लेकर तेज हुईं तैयारियां, कोरोना गाइडलाइन से होगी आराधना लखनऊ, 12 अप्रैल (हि.स.)। मां दुर्गा के नौ रुपों की उपासना का महापर्व ‘चैत्र नवरात्र’ कल मंगलवार यानि 13 अप्रैल को प्रारम्भ हो रहा है। इस बार चैत्र नवरात्र पूरे नौ दिन का है। नौवें दिन 21 अप्रैल को हवन होगा। इसके बाद 22 अप्रैल को श्रद्धालु व्रत का पारण करेंगे। चैत्र नवरात्र को लेकर उत्तर प्रदेश में तैयारियां तेज हो गई हैं। मीरजापुर स्थित विन्ध्यवासिनी मंदिर, प्रयागराज में अलोप शंकरी और कल्याणी देवी समेत प्रदेश भर के देवी मंदिर नवरात्र की पूजा के लिये सज गये हैं। हालांकि पिछले दो नवरात्र की तरह इस बार भी कोरोना संक्रमण की छाया माता की आराधना में स्पष्ट दिख रही है। ऐसे में श्रद्धालु कोविड-19 की गाइडलाइन के तहत मां की पूजा में रहेंगे। घोड़े पर सवार होकर आयेंगी मां दुर्गा ज्योर्तिविद डा0 ओमप्रकाशचार्य के अनुसार इस बार के नवरात्र में मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आयेंगे और उनका प्रस्थान कंधे पर होगा। उन्होंने बताया कि देवी भागवत पुराण में उल्लखित है- ‘शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमें तुरंगमे, गुरौशुक्रे च दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिताः।’ इस श्लोक के अनुसार नवरात्र के समय मां भगवती के आगमन का वाहन सप्ताह के दिनों पर आधारित है। यदि नवरात्र की शुरुआत रविवार या सोमवार को होता है तो देवी मां हाथी पर सवार होकर आती हैं। शनिवार या मंगलवार के दिन नवरात्र की शुरुआत होने पर उनके आगमन की सवारी घोड़ा होता है। वहीं नवरात्र यदि गुरुवार या शुक्रवार को प्रारम्भ हुआ तो माता डोली चढ़कर आती हैं, जबकि बुधवार के दिन नवरात्र शुरु होने उनका वाहन नाव हो जाता है। इस बार नवरात्र की शुरुआत चूंकि मंगलवार को है। ऐसे में मां भगवती का आगमन घोड़े पर होगा। डा0 ओमप्रकाशचार्य बताते हैं कि माता के आगमन का वाहन घोड़ा होने से देश में राजनैतिक उथल-पुथल और जनता के लिये कष्टकारी हो सकता है, लेकिन कंधे पर भगवती का प्रस्थान होना सुख और शांति का द्योतक है। नव सम्वत्सर की भी शुरुआत शक्ति उपासना का पर्व चैत्र नवरात्र इसलिये खास माना जाता है क्योंकि इसके पहले दिन ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानि 13 अप्रैल से संवत 2078 प्रारम्भ होगा और नवरात्र के अंतिम दिन 21 अप्रैल भगवान श्रीराम का प्राकट्य दिवस माना जाता है। इसीलिये चैत्र नवमी को राम नवमी भी कहा जाता है। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त मंगलवार को सुबह 05.28 बजे से सुबह 10.14 बजे तक। विभिन्न योग में शुभ मुहूर्त अमृतसिद्धि योग: पूर्वाह्न 06.11 बजे से अपराह्न 02.19 बजे तक। सर्वार्थसिद्धि योग: पूर्वाह्न 06.11 बजे से अपराह्न 02.19 बजे तक। अभिजीत मुहूर्त: अपराह्न 12.02 बजे से अपराह्न 12.52 बजे तक। अमृत काल: पूर्वाह्न 06.15 बजे से पूर्वाह्न 08.03 बजे तक। ब्रह्म मुहूर्त: भोर में 04.35 बजे से 05.23 बजे तक। नौ दुर्गा के नौ रुपों की आराधना तिथियां प्रथम दिवस - 13 अप्रैल - मां शैलपुत्री की पूजा द्वितीय दिवस - 14 अप्रैल - मां ब्रह्मचारिणी की पूजा तृतीय दिवस - 15 अप्रैल - मां चंद्रघंटा की पूजा चतुर्थ दिवस - 16 अप्रैल - मां कूष्मांडा की पूजा पंचम दिवस - 17 अप्रैल - मां स्कंदमाता की पूजा षष्टम दिवस - 18 अप्रैल - मां कात्यायनी की पूजा सप्तम दिवस - 19 अप्रैल - मां कालरात्रि की पूजा अष्टम दिवस - 20 अप्रैल - मां महागौरी की पूजा नवम दिवस - 21 अप्रैल - मां सिद्धिदात्री की पूजा हिन्दुस्थान समाचार/ पीएन द्विवेदी

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