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चैत्र नवरात्र : माता सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना कर भक्तों ने कराया कन्याभोज

कानपुर, 21 अप्रैल (हि. स.)। चैत्र नवरात्र के नवमी दिन के भक्तों ने कोरोना महामारी की जारी गाइड लाइन का पालन करते हुए कन्या भोज कराते हुए मां दुर्गाजी की नवीं शक्ति सिद्धिदात्री का ध्यान किया। साथ ही कोरोना संक्रमण से निजात दिलाने की प्रार्थना भी की। वहीं नवरात्र के अंतिम दिन माता के मंदिरों में भी भक्तों की भीड़ देखने को मिली। तपेश्वरी मंदिर के पुजारी नरेश ने बताया कि मां दुर्गाजी की नवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। नवरात्र-पूजन के नौ वें दिन इनकी उपासना की जाती है। इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता है। ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य उसमें आ जाती है। पुजारी ने बताया कि मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व- ये आठ सिद्धियां होती हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण के श्रीकृष्ण जन्म खंड में यह संख्या अठारह बताई गई है। इनके नाम इस प्रकार हैं। मां सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं। देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे लोक में 'अर्द्धनारीश्वर' नाम से प्रसिद्ध हुए। पुजारी ने जानकारी देते हुए बताया कि मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है। प्रत्येक मनुष्य का यह कर्तव्य है कि वह मां सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त करने का निरंतर प्रयत्न करें। उनकी आराधना की ओर अग्रसर हो। इनकी कृपा से अनंत दुख रूप संसार से निर्लिप्त रहकर सारे सुखों का भोग करता हुआ वह मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। हिन्दुस्थान समाचार/हिमांशु

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