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चैत्र नवरात्र : मां सीता ने तपेश्वरी मंदिर में कराया था लव-कुश का मुंडन, वहां शर्तों पर करना होगा दर्शन

- कानपुर के प्राचीन मंदिर में कोविड का ग्रहण, मेला लगाने पर प्रशासन ने लगाई रोक - भक्तों को मास्क व सेनिटाईजेशन के साथ कराया जाएगा मंदिर में प्रवेश - मंदिर में आने-जाने वाले भक्तों पर तीसरी आंख से रखी जाएगी पूरी नजर कानपुर, 11 अप्रैल (हि.स.)। चैत्र नवरात्र को लेकर माता के मंदिरों में तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है। लेकिन इस बार भी कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप में एक बार फिर नवरात्र पूजन श्रद्धालुओं को करना पड़ेगा। प्रसिद्ध बिरहाना रोड स्थित तपेश्वरी मंदिर में कोविड में भक्तों को दर्शन पूजन के लिए खास बंदोबस्त किए गए है। मंदिर प्रबंधन ने एक कतारबद्ध बैरीकेटिंग कराई है, जिससे होकर सभी माता के दर्शन प्राप्त कर दूसरे ओर से निकल जाएंगे। मंदिर में कोविड नियमों के साथ ही श्रद्धालुओं को प्रवेश व दर्शन की अनुमति होगी। नवरात्र पर्व का सनातन धर्म में बड़ा ही महत्व माना जाता है, तो वहीं देवी सिद्ध पीठों में दर्शन का भी बड़ा महत्व माना गया है। शहर के बीचों बीच स्थित मां तपेश्वरी मंदिर की भक्तों में बहुत ज्यादा मान्यता मानी जाती है। यहां नवरात्र में आसपास जिले से भी लोग दर्शन के लिए आते है। इस बार कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए मंदिर प्रबंधन ने एक समय में पांच लोगों से ज्यादा को प्रवेश न दिए जाने का निर्णय लिया है। भक्तों को मास्क, सेनिटाइजर का प्रयोग करने के बाद ही परिसर में जाने दिया जाएगा। कोविड की चुनौतियों के बीच चैत्र नवरात्र पर भक्तों को दर्शन पूजन की तैयारियों के बारे में तपेश्वरी मंदिर के पुजारी नरेश पंडित से बातचीत की गई। उन्होंने बताया कि माता तपेश्वरी मंदिर में ही माता सीता ने अपने दोनों पुत्र लव व कुश का मुंडन संस्कार कराया था। जिसकी वजह से यहां नवरात्रों में मुंडन संस्कार कराए जाने की मान्यता बनी है। साथ ही यहां पर दर्शन पूजन को शहर ही नहीं बल्कि दूर-दराज से भी श्रद्धालुगण माता का आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं। वहीं बच्चों के कर्ण छेदन का भी यहां काफी महत्व है। पुजारी ने बताया कि मंदिर की मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से मां के श्रीचरणों में अपना शीश झुकाता है तो मां उसके सारे दुख हर लेती है। एक समय में पांच भक्तों को मिलेगा प्रवेश मंदिर के पुजारी का कहना है कि इस बार कोरोना संक्रमण की स्थिति अब और भी ज्यादा भयावह होती दिख रही है। जिसके चलते रात्रि पाबंदी (कर्फ्यू) लगा कर लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक किया जा रहा है। लेकिन इस बार अभी तक तो सरकार के द्वारा धार्मिक स्थलों में दर्शन को लेकर कोई गाइड लाइन नहीं आई है। फिर भी मंदिर प्रशासन ने आने वाले भक्तों को दर्शन के लिए एक रूपरेखा तैयार कर ली है। परिसर में किस तरह से मंदिर में भक्तों का प्रवेश कराया जाए व निकास कैसे हो, इसके खास प्रबंध किए गए हैं। मंदिर परिसर में एक बार में सिर्फ पांच ही भक्त दर्शन कर पाएंगे। कोविड संक्रमण के चलते मेला पर लगा ग्रहण जनपद में कोरोना संक्रमण के बढ़ रहे केसों को देखते हुए इस बार भी तपेश्वरी मंदिर में लगने वाले मेले पर ग्रहण लग गया है। प्रशासन ने नवरात्र में लगने वाले मेला को निरस्त करा दिया है। इससे मंदिर के आसपास परिसर में दुकान लगाने वाले दुकानदारों के चेहरे पर मायूसी है। मेले में कई वर्षों से महिला सौंदर्य सामग्री का व्यापार करने वाले एक दुकानदार गुड्डन ने बताया कि पिछले एक वर्ष से लगातार कोरोना प्रकोप के चलते हम अपना व्यापार नहीं कर पा रहे है। मेले के समय ही ठीक-ठाक आमदनी हो जाती है, लेकिन इस बार भी हमारे हाथ निराशा ही आयी है। भक्तों को भी देना होगा सहयोग फीलखाना के प्रभारी सतीश कुमार साहू का कहना है कि कोरोना मरीजों की संख्या में हो रहे इजाफा को देखते हुए प्रशासन ने मेले व एक स्थान पर ज्यादा संख्या में लोगों के एकत्र होने पर पूरी तरह से रोक लगाई है। कोविड नियमों की हम समय-समय पर लोगों को गाइड लाइन का पालन कराया जा रहा है। साथ ही मंदिर में सुबह छह बजे से सिर्फ नौ बजे तक ही भक्तों को दर्शन करने की इजाजत दी जाएगी। यह सभी नियम कोविड से बचाव को लेकर उठाए जा रहे हैं, भक्तों को भी इस बात को समझना चाहिए और इसमें जिला व पुलिस प्रशाासन का सहयोग देना चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार/हिमांशु/मोहित

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