Celebrated Kharif Onion Day, progressive farmers shared their experiences
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मनाया गया खरीफ प्याज दिवस, प्रगतिशील किसान ने साझा किये अपने अनुभव

-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान ने उप्र के क्लाइमेट के हिसाब से प्याज का तैयार किया है बीज -ककराबाद के किसान ने की थी इसकी खेती, मिला था अच्छा फायदा लखनऊ, 08 जनवरी (हि.स.)। ककराबाद में खरीफ प्याज दिवस मनाया गया। इस प्रक्षेत्र दिवस के मुख्य अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेंद्र राजन, विशिष्ट अतिथि डॉ. एस आर सिंह प्रधान वैज्ञानिक तथा डॉ. अशोक कुमार प्रधान वैज्ञानिक रहे। प्रगतिशील किसान के रूप में उभर रहे काकोरी खंड के ककराबाद गांव के किसान राजेश पुष्कर ने खरीफ प्याज की रोपाई से लेकर परिपक्व होने तक पूर्ण अनुभव साझा किया। प्याज की खेती कर रहे किसान राजेश पुष्कर को प्रगतिशील किसान के रूप में देखकर अन्य किसान खरीद प्याज की खेती करने के लिए उत्साहित हुए एवं उनका मनोबल बड़ा संस्थान के निदेशक ने खरीफ प्याज की खेती करने वाले इच्छुक किसानों को खरीफ प्याज भी वितरित किया। खेत में अच्छे आकार के प्याज के कंद को देखकर किसानों ने आश्चर्य प्रकट किया और प्रकट किया कि वे भी खरीफ प्याज का उत्पादन करके नवंबर दिसंबर में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इस कार्यक्रम में केवल 50 किसानों को ही आमंत्रित किया गया था, परंतु समाचार पाने के बाद 100 से भी अधिक किसानों ने अपनी आंखों से राजेश पुष्कर की खरीफ की क्या प्याज को देखा। डॉ. एसआर सिंह ने विस्तार से खरीफ प्याज के उत्पादन की तकनीकी की बारीकियों को समझाया और किसानों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर भी दिए। किसान के खेत में ही इस प्रकार के कार्यक्रम करने से खरीफ प्याज के उत्पादन के तकनीकी पहलुओं को समझाने में आसानी मिली। उत्तर भारत में यदि खरीफ की प्याज का उत्पादन किया जाए तो नवंबर अंबर में हूं। आसमान छूते दामों से थोड़ी राहत मिलेगी| इसका महत्व प्रदेश ग्रामीण परिदृश्य और ज्यादा है, क्योंकि इस दौरान गांव में भी प्याज शहरों से आती है और अधिकतर ग्रामवासी अधिक दाम देकर खरीदने को विवश रहते हैं। अन्य सब्जियों को अपने उपयोग के लिए उगाने में महारत हासिल है परंतु प्याज का उत्पादन करके वे अपने जरूरत को पूरा करने के साथ-साथ अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं। राजेश पुष्कर ने किसानों को इस कार्य के लिए आगे आने के लिए उत्साहित किया और किसानों ने वैज्ञानिकों की देखरेख में आगामी फसल के लिए तैयारी करने में रुचि दिखाई। हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/संजय-hindusthansamachar.in

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