case-of-fake-degrees-of-sampurnanand-sanskrit-university-heats-up-eyes-on-executive-council
case-of-fake-degrees-of-sampurnanand-sanskrit-university-heats-up-eyes-on-executive-council

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्रियों का मामला गरमाया, कार्यपरिषद पर निगाहें

पूर्व कुलपति प्रो. बिन्दा प्रसाद मिश्र अपने कार्यकाल में 100 करोड़ से अधिक के घोटाले का लगा चुके हैं आरोप वाराणसी, 16 मार्च (हि.स.)। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के फर्जी डिग्रियों के मामले में विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) की संस्तुति को लेकर विश्वविद्यालय में सन्नाटा पसर गया है। विश्वविद्यालय के पूर्व अधिकारी सहित 19 कर्मचारियों पर होने वाली कार्रवाई पर लोगों की निगाहें टिकी है। इन कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्णय कार्य परिषद को लेना है। मामले से जुड़ी सभी फाइलें कुलपति को संदर्भित कर दी गई हैं। विश्वविद्यालय से जुड़े सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि फर्जीवाड़े में शामिल अह्म कर्मचारी पिछले सात सालों से फरार चल रहा है। वर्ष 2004 से 2014 तक की डिग्रियों की जांच में एसआईटी ने विश्वविद्यालय में कार्यरत 19 अधिकारियों और कर्मचारियों को दोषी माना है। एसआईटी ने उच्च शिक्षा विभाग से आरोपितों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश भी की है। परीक्षा अभिलेखों में हेराफेरी व फर्जी ढंग से सत्यापन करने को लेकर कर्मचारियों में सुगबुगाहट है। एसआइटी की संस्तुति पर कार्रवाई के लिए प्रदेश शासन के विशेष सचिव मनोज कुमार ने पिछले दिनों विश्वविद्यालय के कुलसचिव के पास पत्र भेजा है। कुलसचिव राजबहादुर ने शासन के पत्र पर निर्णय करने के लिए कुलपति को संस्तुति कर दी है। सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2004 से 2014 तक बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालय में संस्कृत विश्वविद्यालय के डिग्रीधारक बड़े पैमाने पर अध्यापक पद पर चयनित हुए थे। एसआइटी ने सूबे के सभी 75 जिलों ने विश्वविद्यालय के डिग्रीधारी शिक्षकों का नए सिरे सत्यापन कराया है। इसमें करीब करीब एक हजार शिक्षकों की डिग्री फर्जी होने की संभावना है। बताते चलें, इस विश्वविद्यालय में फर्जी डिग्रियों को लेकर कई बार सवाल उठाया गया है। विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. बिन्दा प्रसाद मिश्र भी अपने कार्यकाल में प्रेस वार्ता में इसको लेकर जानकारी दे चुके हैं। बेईमानी और भ्रष्टाचार विश्वविद्यालय में गहराई से व्याप्त है। उन्होंने आरोप लगाया था कि विश्वविद्यालय के पिछले 30 वर्षों के इतिहास में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले हुए हैं। प्रो. मिश्र ने साफ संकेत दिया था कि विश्वविद्यालय के कुछ आचार्य एवं भ्रष्ट अधिकारियों की पूरी टीम है। उन्होंने पानी के ओवर हेड टैंक के निर्माण में हुए घोटाले के लिए तब तत्कालीन रजिस्ट्रार व निर्माणदायी संस्था को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया था। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/संजय

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in