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विद्यार्थी संस्कृति के अनुरूप अपने व्यक्तित्व और चरित्र का निर्माण करें यहीं वास्तविक शिक्षा है: आनंदीबेन

जौनपुर, 16 फरवरी (हि.स.)। विद्यार्थी संस्कृति के अनुरूप अपने व्यक्तित्व और चरित्र का निर्माण करें, यही वास्तविक शिक्षा है। नई शिक्षा नीति-2020 राष्ट्रीय चरित्र और व्यक्तित्व निर्माण के साथ देश को उन्नत राष्ट्र की श्रेणी में खड़ी करने में सहायक होगी। विद्यार्थी फूल की तरह गुणवान होने के साथ-साथ विनम्र बनें। यह बात वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के 24वें दीक्षांत समारोह में प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने मंगलवार को कही। उन्होंने इस मौके पर महंत अवेद्यनाथ संगोष्ठी भवन में 73 मेधावियों को स्वर्ण पदक प्रदान किया। इसके साथ ही 67 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि दी गई। कक्षा 6 से 8 के 51 बच्चों को स्कूल बैग भी उपहार में दिए गए। बाल विवाह पर सख्ती दिखाते हुए कुलाधिपति ने कहा कि इसका विरोध घर के सदस्यों से ही शुरू हो, ऐसे समारोह में न शामिल हों न लोगों को शामिल होने दें। कुपोषित बच्चे बाल विवाह की देन हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के शिक्षक टीबी मुक्त समाज के लिए आगे आएं। एक शिक्षक एक बच्चे को गोद ले, तभी टीबी का समूल नाश होगा। कुलाधिपति श्रीमती पटेल ने आंगनवाड़ी केंद्रों की मदद पर भी जोर दिया। महिलाओं के अत्याचार और हिंसा पर उन्होंने गंभीर सवाल उठाए। कहा कि महिला मां है, बहन है, पत्नी है, भाभी है, वह ही वंश को आगे बढ़ाती है। उन्होंने समाज में परिवर्तन के लिए महिलाओं से अपनी सोच बदलने को भी कहा। दीक्षांत उद्बोधन में मुख्य अतिथि रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी के कुलाधिपति प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक प्रो. पंजाब सिंह के कहा कि न्यू इंडिया के स्लोगन के साथ भारत एक बार पुनः अपनी खोई हुई ताकत को प्राप्त करना चाहता है। उन्होंने कहा कि विश्व गुरु बनने के लिए भारत को नए सिरे से जी-तोड़ मेहनत करनी होगी। इसके के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और उद्योग के क्षेत्र में क्रन्तिकारी सुधार लाने होंगे। भारत सरकार की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 देश के युवाओं में उड़ान भरने के लिए पंख लगाने और पुराने गौरव को पाने का एक प्रयास है। हिन्दुस्थान समाचार/विश्व प्रकाश/संजय-hindusthansamachar.in

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