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आमजन,व्यापारियों व राजनीतिक दलों को बजट ने किया निराश

झांसी, 01 फरवरी(हि.स.)। राजनीतिक दलों, व्यापारियों और आमलोगों को आज पेश हुए आम बजट ने खासी निराशा पहुंचाई है। जिसे देखो वह अपना दुख प्रकट करते नहीं थक रहा है। हालांकि आमजन विशेष जानकारी न होने के चलते कुछ हद तक शांत भी दिखा। जबकि किसान नेताओं के पास बजट पर विशेष अध्ययन का समय नहीं रहा। पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने की नजर में अधमरी जनता को इस बजट ने मारने का पूरा इंतजाम कर दिया है। कोरोना काल और लॉकडाउन में लगभग 74 प्रतिशत आम लोगों की कमर टूट गयी थी और सभी को उम्मीद थी कि सरकार इस बजट के जरिए ऐसे लोगों को खड़ा करने में मदद करेगी। लेकिन इन्होंने अधमरी जनता को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई भी मदद नहीं देकर उसे मृत्यु के और निकट पहुंचा दिया है। महामारी से कम इस सरकार की गलत नीतियों के कारण खजाना खाली हुआ और आज कह रहे हैं कि कोरोना महामारी के कारण स्थिति खराब है और लोगों को कड़वी दवाई के लिए तैयार रहना चाहिए। यह अनुभवहीन सरकार है। इनके हाथ में सत्ता ऐसे है जैसे बंदर के हाथ में उस्तरा। भ्रामक बजट शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अरविंद वशिष्ठ ने इसे भ्रामक बजट की संज्ञा देते हुए कहा कि इस बजट को घुमा कर पेश किया गया है इस कारण अभी लुभावना दिख रहा है लेकिन इसके दूरगामी परिणाम अच्छे नहीं होंगे। व्यापारियों की नजर में बकवास व्यापारियों ने बजट को बेकार और बकवास की संज्ञा दे डाली। कुछ व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारियों ने कोरोना काल में ऐसे बजट को समय की मांग बताया और नये कोई टैक्स नहीं लगने पर राहत जतायी लेकिन कुछ ने नाम न छापने की शर्त पर इसे पूरी तरह से बकवास बजट करार दिया। सीएस हेमन्त नायक ने 75 वर्ष के पेंशनधारियों को आयकर से मिली मुक्ति को अच्छा तो बताया लेकिन साथ ही कहा कि आयु सीमा 75 साल होने के कारण बहुत कम लोगों को ही इसका फायदा हो पायेगा। अगर आयु सीमा 68 रखी जाती तो ज्यादा लोगों को लाभ हो सकता था। उन्होंने कोरोना काल के बाद आये इस बजट में आम लोगों के लिए सबसे बड़ी राहत यहीं माना कि नया कोई टैक्स आरोपित नहीं किया गया है। स्वास्थ्य क्षेत्र और संरचनात्मक क्षेत्र में निवेश को बढाये जाने को सकारात्मक तो माना है लेकिन इसके लाभ आम लोगों को पहुंचाना भी एक बड़ी चुनौती बताया। निजीकरण सरकारी कर्मचारी के लिए बेहद कष्टदायी समाजसेविका डॉ. नीति शास्त्री ने नारी सशक्तिकरण की प्रतीक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को दूसरी बार आम बजट पेश करने और नयी तकनीक की नयी विधा स्वदेशी टैब से पेपरलैस बजट पेश करने के लिए बधाई दी। एक महिला के रूप में बेहद गौरवांवित महसूस करने की बात कही कि देश का आम बजट दूसरी बार एक महिला ने पेश किया लेकिन नागरिक के रूप में निजीकरण विशेषकर बिजली, एयरपोर्ट और रेलवे का निजीकरण कर्तव्यनिष्ठ सरकारी कर्मचारी के लिए बेहद कष्टदायी बताया। कुछ बेईमानों को ध्यान में रखकर जो नीतियां बनायी गयी है उनसे कर्तव्यनिष्ठा से काम करने वाले सरकारी कर्मचारी को यह नुकसान क्यों। प्रौढ और उम्र के ऐसे पडाव पर पहुंचे लोगों जो नया कुछ शुरू करने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम नहीं है ,ऐसे लोगों के लिए यह बजट बहुत बड़ी चुनौती है। ऐसे लोगों के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए भी सरकार को निश्चित रूप से कुछ सोचने की जरूरत है । न गरीबों,न जवानों,न किसानों,न युवाओं और न रोजगार के लिए है बजट समाजवादी पार्टी के नेता और विधानसभा प्रभारी राहुल सक्सेना ने कहा कि यह बजट न तो गरीबों के लिए, न युवाओं के लिए, न जवानों के लिए , न किसानों के लिए है और ना ही रोजगार के लिए है । देश की 75 प्रतिशत जनता जो गांवों में बसती है उससे इस बजट का कोई सरोकार नहीं है। यह बजट दो लोगों के द्वारा और दो लोगों के लिए है। जिस बुरी तरह से निजीकरण को यह सरकार बढ़ावा दे रही है वह आम जनता के लिए बहुत घातक है हिन्दुस्थान समाचार/महेश-hindusthansamachar.in

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