अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन मुहूर्त को लेकर सारी आशंकाएं निर्मूल
अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन मुहूर्त को लेकर सारी आशंकाएं निर्मूल

अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन मुहूर्त को लेकर सारी आशंकाएं निर्मूल

वाराणसी, 24 जुलाई (हि.स.)। अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन मुहूर्त को लेकर छिड़े विवाद के बीच मुहूर्त निकालने वाले काशी के दिग्गज विद्वान आचार्य पण्डित गणेश्वर शास्त्री द्रविड ने सारी आशंकाओं को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि रामजी की कृपा से 32 सेकेण्ड का शुभ मुहूर्त मिला है। इस मुहूर्त में मंदिर निर्माण से सबकी रक्षा होगी। मुहूर्त को लेकर उन्हें शास्त्रार्थ की चुनौती देने वाले शुक्रवार को निर्धारित समय पर आये ही भी नहीं। उन्होंने बताया कि दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे के बीच रामघाट स्थित सांगवेद विद्यालय में उन्होंने ज्योतिषविद अंकित तिवारी सहित काशी के अन्य ज्योतिषों से प्रार्थना कर शास्त्रार्थ के लिए बुलाया था। उन्होंने बताया कि शास्त्रार्थ की चुनौती मिलने के दौरान उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था। पांच दिन से भूखे प्यासे रहने के कारण वैद्य ने बाहर जाने से मना किया था। उन्होंने बताया कि उन्होंने 22 जुलाई को एक लेख लिखा था, जिसमें मुहूर्त को लेकर शंका और प्रश्नों के उत्तर उसमें है। उन्होंने बताया कि अयोध्या में जन्मभूमि स्थान पर मंदिर निर्माण के लिए शीघ्र मुहूर्त के लिए स्वामी गोविंद देव गिरी महाराज के द्वारा यह बात आयी थी। इसके बाद मुहूर्त दिया गया। आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड ने बताया कि चांद्रमास में पूर्णिमांत मास एकादशी है। अमांत मास सार्वदेशिक है। अतएवं पंचागों में पूर्णिमा के दिन 15 तथा अमावस्या के दिन 30 लिखा जाता है। 30 मास के समाप्ति का द्योतक है। तदनुसार अमांत श्रावण को लेकर पांच अगस्त 2020 को मुहूर्त दिया गया। उस दिन बुधवार है। अत: मुहूर्त अभिजीत के बाद दिया गया। आचार्य द्रविण ने बताया कि तुला लग्न गुणवत्तर होने से उसमें वृषनवांश में मुहूर्त राजमार्तण्ड में वर्णित प्रकार से दिया गया। 12 घंटा-34 मिनट के पूर्व अभिजीत समाप्त होता है। उसके बाद वृषनवांश में मुहूर्त दिया गया है। वृषनवांश का प्रारम्भ 12 बजकर 35 मिनट 20 सेकेंड के बाद होता है। इसी वृषनवांश में बीच में 32 सेकेंड का मुहूर्त खास महत्व रखता है। जिसमें लग्न होरा, देष्क्राण, चर्तुथांश, सप्तमांश, बनवमांश, दशमांश, द्यादशांश, षोडशांश, विंशांश, चर्तुविशांश, सप्तविशांश, त्रिशांश, चत्वारिंशांश एवं षष्टयंश ये 15 वर्ग शुभ मिल रहे है। कुल 16 वर्ग होते है। जिसमें एक पंच्चचत्वारिशांश को छोड़कर सभी वर्ग शुभ मिलते है। अतएवं 32 सेकेण्ड का आदर करके मुहूर्त दिया गया है। उन्होंने कहा कि अपना अनुभव है कि 16 वर्गो में से 15 वर्ग शुभ सहसा नहीं मिलते। ये तो रामजी के कृपा से ही मिले है। ऐसे उत्तम मुहूर्त में मंदिर निर्माण का कार्य शुरू होने पर कार्य शीघ्रातिशीघ्र निर्विध्न एवं यशस्वी रूप से सम्पन्न होगा। पांच अगस्त को वेद व्यास जी के मत से श्रावण है। तुलालग्न चर होने से मंदिर स्थित हो इसके लिए वृषनवांश लिया गया है। बुधवार को अभिजीत वर्जित होने से उसे नही लिया गया है। उन्होंने बताया कि उक्त 32 सेकेंड के समय माहेन्द्र मुहूर्त होने से रामजी की जय होगी। कार्यारम्भ के समय अमृत मुहूर्त होने से सबकी रक्षा होगी। अष्टवर्गानुसार कुंभ का चंद्र 5 रेखा से युक्त होने के कारण मंदिर निर्माण के लिए शुभ है। इस मुहूर्त में रोगबाण,राजबाण,चोरबाण एवं मृत्युबाण ये पांचों बाण नही है। राजबाण के न होने से लोग बीमार नही होंगे। अग्निबाण के न होने से आग भी नही लगेगी। राजबाण के न होने से राजकीय संकट भी नही आयेगा। चोरबाण के न होने से चोरी भी नही होगी। मृत्युबाण न होने से मरण भी नही होगा। अत: मंदिर निर्माण की दृष्टि में उत्तम मुहूर्त है। शततारका नक्षत्र में पाप ग्रह का वेध न होने से वह शुभ है। ऐसे में उत्तम मुहूर्त को न समझ कुछ लोग भ्रम फैला रहे है कि इस मुहुर्त में मंदिर का भूमि पूजन से विनाश के साथ निर्धनता आयेगी। जबकि मंदिर का निर्माण इस मुहूर्त में होने से रामजी की कृपा से सब अच्छा ही होगा। अनेको संकट के बाद भी मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो रहा है। यह भगवत कृपा ही है। 32 सेकेंड के पूर्व शिलाए रख दी जायेगी। उनकी प्रतिष्ठा मात्र दुर्लभ उन 32 सेकेंडो में अक्षत छोड़ के सुप्रतिष्ठितमस्तु कह कर के होगी। अत: सारी आंशकाए निर्मूल है। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/मोहित-hindusthansamachar.in

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