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कुशीनगर में गूंजी दक्षिणी अफ्रीका की भोजपुरी, असम की बिहू व बुंदेलखंड की राई की धूम

- लोकरंग 2021 में पहुंचे देश दुनिया के भोजपुरी कलाकार कुशीनगर, 11 अप्रैल(हि.स.)। कुशीनगर के जोगिया गांव में 14 वें लोकरंग का आगाज शनिवार देर रात को हो गया। दक्षिणी अफ्रीका के डरबन शहर, असम, राजस्थान, छत्तीसगढ़ व उत्तरप्रदेश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों से आए लोक कलाकारों की प्रस्तुतियों पर लोग भोर पूर्व तक डूबते उतराते रहे। कार्यक्रम में आए राजस्थान की कालबेलिया और बहुरूपिया कलाकार लोगों के आकर्षण का केंद्र रहे। गांव के मध्य बने मुक्ताकाशी मंच पर गिरमिटिया वंशज डरबन शहर के गायक केमलाल चन्द की टीम ने विशुद्ध भोजपुरी अंदाज में लोकगीत प्रस्तुत कर लोगों का दिल जीत लिया। असम की नटरंग संस्था की अस्मिता, पिनाकी, पल्लवी, बिटेन ने बिहू लोकनृत्य की प्रस्तुति की। बुंदेलखंड के कलाकार करन, प्रियंका, संध्या, सुजान आदि के 'राई' नृत्य और राजस्थान के जैसलमेर से आई मांगणियार कलाकारों की अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त टीम की प्रस्तुतियों पर लोग झूम उठे। पूर्वी उप्र के पीड़िया गीत से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। मतिरानी देवी, पूजा, अंशु, प्रीति व अमृता ने दीपावली बाद आने वाले लोकसंस्कृति में रची बसी बालिकाओं के उत्सव पीड़िया के गीत की प्रस्तुति कर लोक परम्परा को जीवंत कर दिया। बिहार के जीरादेई सिवान से आई परिवर्तन लोक मंडली के आशुतोष, रणजीत, फिरोज पंकज, विवेक के लोकगीतों को सराहना मिली। लोकरंग सास्कृतिक समिति के अध्यक्ष सुभाष कुशवाहा ने कलाकारों व आगंतुकों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के औचित्य पर प्रकाश डाला। कहा कि विगत 14 वर्ष से लोक संस्कृतियों को फूहड़पन और अश्लीलता से मुक्त कर उनके जनपक्षधर स्वरूप को सामने लाने का प्रयास किया जा रहा है। लोकरंग 2021 का चैदहवां आयोजन इस प्रयास की कड़ी है। इस अवसर पर भुनेश्वर राय,बिष्णुदेव राय,हदीश,अंसारी, संजय कुशवाहा, नितांत सिंह,इसरायल अंसारी, मंजूर अंसारी,अमजद अली,राजकुमार, जमशेद,सुधीर कुशवाहा,अनुभव राय आदि उपस्थित रहे। भोलानाथ गहमरी को समर्पित हुआ आयोजन 14वां लोकरंग भोजपुरी के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर भोलानाथ गहमरी और मशहूर लोक गायक मुहम्मद खलील की याद में आयोजित किया है जिनके गाए गीत आज भी जनमानस में रचे-बसे हैं- कवना खोतवा में लुकइलू आहि रे बालम चिरई.......आज भी भोजपुरी क्षेत्र में रचा बसा हुआ है। हिन्दुस्थान समाचार/गोपाल

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