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मातृभाषा में होनी चाहिए बुनियादी शिक्षा: प्रो. निर्मला

प्रयागराज, 13 जून (हि.स.)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो निर्मला एस मौर्य ने कहा कि स्किल से ही आधुनिक युवा का निर्माण संभव है। हमारी बुनियादी शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए। उसे नवाचार और आत्मविश्वास प्रदान करने वाली शिक्षा प्रणाली होना होगा। उन्होंने शिक्षा को अनुशासन प्रदान करने वाला बताया। कहा शिक्षा हमारी उंगली पकड़कर चलना सिखाती है, वह हमें संस्कार देती है और मनुष्य बनाती है। नई शिक्षा नीति पर चर्चा करते हुए उसके तीन महत्वपूर्ण घटकों पर जोर दिया। पहला वर्तमान की आवश्यकता का अनुशीलन, दूसरा अतीत का विश्लेषण और तीसरा भविष्य के सम्भावना की खोज के आधार पर शिक्षा नीति का प्रसरण और प्रचलन। सिद्धू कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका, झारखंड की कुलपति प्रो सोना झरिया मिंज ने कहा कि हमें संविधान की उद्देशिका को ध्यान में रखकर आगे बढ़ना चाहिए और भारत की विविधता को ध्यान में रखकर काम करना चाहिए। उन्होंने जनजातियों की समस्याओं और उनकी स्थिति पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने राष्ट्र निर्माण में सब प्रकार की ईंटों को मिलाकर विशाल अट्टालिका बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। कार्यक्रम के आयोजक, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के संयोजक डॉ. राजेश कुमार गर्ग ने कहा कि व्यक्तित्व निर्माण के लिए शिक्षा ही सबसे बड़ा संसाधन और साधन है। उन्होंने समावेशी भारत के निर्माण के लिए रोजगार परक शिक्षा, कर्तव्यनिष्ठ विद्यार्थी, कर्मनिष्ठ और आत्मविश्वास से भरे हुए छात्रों के निर्माण पर जोर दिया। कार्यक्रम का संचालन इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ शशिकांत शुक्ल ने एवं धन्यवाद ज्ञापन विधि विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ हरिबंस सिंह ने किया। कार्यक्रम में अनेक प्रांतों से प्रतिभागी जुड़े। आयोजक ने बताया कि 25 राज्यों से 1235 प्रतिभागियों ने वेबिनार में भाग लेने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया था। हिन्दुस्थान समाचार/विद्याकान्त

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