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बसंत पंचमी : काशीपुराधि के तिलकोत्सव से भक्त आह्लादित, दुल्हा स्वरूप देखने को होड़

- महंत आवास में उत्सव, पूर्व महंत ने राजा दक्ष की भूमिका निभाई वाराणसी, 16 फरवरी (हि.स.)। उत्सव प्रिय काशी नगरी ने बसंत पंचमी पर्व पर मंगलवार की शाम अपने आराध्य काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ के तिलकोत्सव में पूरे आस्था और उत्साह के साथ भाग लिया। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ कुलपति तिवारी के टेढ़ीनीम स्थित आवास पर बाबा के अदभुत दुल्हा स्वरूप देखने के लिए लोग लालायित रहे। महंत आवास पर बाबा के पंचबदन रजत मूर्ति के समक्ष फल-फूल, भोग प्रसाद, इत्र व स्वर्ण आभूषण अर्पित करके तिलक चढ़ाया गया। महंत कुलपति तिवारी ने राजा दक्ष की भूमिका निभाई और काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ का प्रतीक रूप से ससुर बन तिलक चढ़ाया। इसके पहले महंत आवास पर भोर में 04 से 04.30 बजे तक बाबा विश्वनाथ की पंचबदन रजत मूर्ति की मंगला आरती उतारी गई। सुबह 06 बजे से 08 बजे तक ब्राह्मणों द्वारा चारों वेदों की ऋचाओं के पाठ के साथ बाबा का दुग्धाभिषेक किया गया। सुबह बाबा को फलाहार का भोग अर्पित किया गया, उसके उपरांत पांच वैदिक ब्राह्मणों ने पांच प्रकार के फलों के रस से 8.30 से 11.30 बजे तक रुद्राभिषेक कराया। पूर्वाह्न 11.45 बजे पुन: बाबा को स्नान कराया गया। दोपहर 12 बजे से 12.30 बजे तक मध्याह्न भोग अर्पण एवं आरती की गई। 12.45 से दोपहर ढाई बजे तक महिलाओं द्वारा मंगल गीत गाये गए। दोपहर में बाबा विश्वनाथ की पंचबदन प्रतिभा को अर्चकों ने पंचगव्य स्नान कराया और वैदिक रीति रिवाजों के साथ तिलकोत्सव शुरू हुआ। अपरान्ह में बाबा के श्रृंगार के लिए पट बंद कर दिया गया। इसके बाद बाबा का दूल्हा के रूप में विधिवत श्रृंगार किया गया। शाम 04.45 से 05.00 बजे तक संध्या आरती एवं भोग के बाद सायं 05 बजे से भक्तों के दर्शन के लिए पट खोल दिए गए। भक्तों ने बाबा का दूल्हा स्वरूप में दर्शन किया। सायं 07 बजे शहर के गणमान्य लोग तिलक की रस्म में शामिल हुए। इसके बाद शहनाई की मंगल ध्वनि और डमरुओं के निनाद के बीच तिलकोत्सव की बधइया यात्रा निकली। सात थाल में तिलक की सामग्री लेकर लोग शोभायात्रा में शामिल हुए। दरबार में देर शाम सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन कन्हैया दुबे केडी व संजीव रत्न मिश्र के नेतृत्व मे किया गया। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर-hindusthansamachar.in

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