बाराबंकी लोधेश्वर :  चारों युगों में पूजित शिवलिंग की इतिहास में पहली बार न होगी पूजा और न होगा जलाभिषेक
बाराबंकी लोधेश्वर : चारों युगों में पूजित शिवलिंग की इतिहास में पहली बार न होगी पूजा और न होगा जलाभिषेक

बाराबंकी लोधेश्वर : चारों युगों में पूजित शिवलिंग की इतिहास में पहली बार न होगी पूजा और न होगा जलाभिषेक

- चारों युगों में पूजित शिवलिंग की इतिहास में पहली बार न होगी पूजा और न होगा जलाभिषेक बाराबंकी, 04 जुलाई (हि.स.)। कोरोना संक्रमण की इस माहमारी को देखते हुए इस बार सावन माह में न तो कावड़ यात्रा उठेगी और न ही भगवान शिव को शांत करने के लिए जलाभिषेक होगा। इससे यहां के स्थानीय दुकानदारों की रोजी-रोटी पर आफत आ बनी है। साथ ही पूजा-पाठ कराने वाले कर्मकाण्डी ब्राह्मण भी बिल्कुल खाली रहेंगे। मन्दिर के मुख्य पुजारी ने बताया कि चारो युगों में पूजित इस शिवलिंग की इतिहास में पहली बार पूजा नहीं हो सकेगी। बाराबंकी के रामनगर इलाके में महाभारत कालीन प्रसिद्ध शिव मन्दिर लोधेश्वर महादेव में जलाभिषेक करने का अरमान सभी श्रद्धालुओं के मन में होता है। सावन के महीने में इसके महत्त्व को लेकर यह अरमान और भी परवान चढ़ने लगता है, लेकिन इस बार शायद भोलेनाथ को ही मंजूर नहीं है कि भक्त उन पर जलाभिषेक करे, क्योंकि कोविड -19 ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है। इसी के कारण अबकी बार न कावड़ यात्रा उठेगी और न ही भगवान् शिव पर जलाभिषेक हो सकेगा। दर्शन के लिए लखनऊ से आये कुछ श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्हें पता लगा था कि सावन में मन्दिर बन्द रहेगा, इसलिए वह सावन आने से पूर्व ही दर्शन के लिए आये हैं और यहां दर्शन ही हो सकते हैं, जलाभिषेक वह नहीं कर सकते हैं। मन्दिर के बाहर पूजा सामग्री की बिक्री करने वालों ने बताया कि हर बार सावन माह में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता था। मगर इस बार कोरोना की महामारी ने श्रद्धालुओं के आने पर ग्रहण लगा दिया है, इससे उनके व्यापार में काफी नुकसान होगा और परिवार को पालना भी मुश्किल लग रहा है। लोधेश्वर महादेव मन्दिर के मुख्य पुजारी आदित्य तिवारी ने बताया कि यह शिवलिंग चारों युगों में पूजित है। सतयुग में बाराह भगवान, त्रेता युग में राम भगवान, द्वापर युग में कृष्ण भगवान और कलियुग में हम सबके और हमारे पूर्वजों द्वारा पूजित होता रहा है, मगर इसबार कोविड-19 की वैश्विक महामारी के कारण इसकी पूजा सम्भव नहीं हो सकेगी। इस बार सावन में कांवड़ लेकर यात्रा करने वाले भक्तों से यह आग्रह किया गया है कि वह घर में रहकर ही भगवान भोलेनाथ की पूजा करें यहां इस बार कोरोना की महामारी के चलते न ही कांवड यात्री यहां आएंगे और न ही जलाभिषेक हो सकेगा। कहा कि मन्दिर तो खुला रहेगा मगर शारीरिक दूरी के कारण जलाभिषेक न होकर केवल भगवान के दूर से दर्शन किये जा सकते हैं। सावन के महीने के महत्त्व को बताते हुए पुजारी कहते हैं कि सावन में ही भगवान शिव ने विषपान किया था और उनको शीतलता प्रदान करने के लिए भक्त उनपर जलाभिषेक करते हैं, मगर इस बार यह शायद सम्भव नहीं हो सकेगा। हिन्दुस्थान समाचार/हरिराम/दीपक-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in