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बार एसोसिएशन ने कचहरी परिसर में हथियार लाने पर लगाई रोक

— जमीनी विवाद की पंचायत में अधिवक्ताओं के दो गुटों ने परिसर में की थी फायरिंग कानपुर, 23 फरवरी (हि.स.)। कलेक्ट्रेट के बाद कचहरी परिसर में फायरिंग का मामला सामने आने के बाद अब बार एसोसिएशन ने सख्त रुख अख्तियार किया है। एसोसिएशन ने साफ कर दिया कि कचहरी परिसर में असलहा लाने पर रोक है। यह नियम सभी के लिए लागू होगा चाहे वह वादी हो या अधिवक्ता। यही नहीं फायरिंग की घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए भी एसोसिएशन रणनीति बना रहा है। कचहरी परिसर में हथियारों को लाने पर प्रतिबंध है, इसके बाद भी लोग हथियार लेकर आते हैं। चाहे वह वादी हो या प्रतिवादी, यहां तक कि हथियारों के शौकीन अधिवक्ता भी असलहा लेकर पहुंचते हैं। कचहरी में अदालती कार्य तो होते ही है साथ ही कुछ अधिवक्ता जमीनों की खरीद—फरोख्त में लिप्त हैं जो किसी से छिपा नहीं है। ऐसे अधिवक्ता कचहरी परिसर में ही जमीनों को लेकर पंचायत करते हैं और कई बार मारपीट की घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं। इसी क्रम में सोमवार को मवइया की जमीन विवाद पर कचहरी में अधिवक्ताओं के दो पक्ष आमने—सामने आ गए। विवाद हल करने के लिए हुई पंचायत के बाद जब बात नहीं बनी तो एक पक्ष ने कई राउंड फायर किया, जिसका जवाब दूसरे पक्ष ने दिया। गोली जरुर हवा में चलीं, लेकिन दहशत अधिवक्ताओं में साफ दिख रही थी। कचहरी में अंदर तो ऐसा पहली बार हुआ, लेकिन शहर में ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं, जिसमें जान पर तक बन आई। परमट में चार साल पहले रंजिश में ऐसी ही घटना हुई, जिसमें अधिवक्ता सुनील को गोली लगी थी। पुलिस के साथ बैठक में हुआ निर्णय बार एसोसिएशन के महामंत्री राकेश तिवारी ने मंगलवार को बताया कि सोमवार को घटना के बाद बार एसोसिएशन में पदाधिकारी और पुलिस अधिकारियों के बीच बैठक हुई। तय हुआ है कि अब कोई भी असलहा के साथ कचहरी में प्रवेश नहीं कर पाएगा। आगे कहा कि कचहरी में ऐसी घटनाएं शर्मनाक हैं। गोलीबारी में कोई भी अप्रिय दुर्घटना हो सकती थी। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए कचहरी में आज से हथियारों को लाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। एसपी पूर्वी शिवाजी ने बताया कि पदाधिकारियों के साथ इस पर बात हुई है। मंगलवार को सुबह से ही कचहरी परिसर के प्रवेश द्वार पर सख्ती से असलहा धारियों को रोका जा रहा है। यह भी हो चुकी हैं घटनाएं जनवरी 2020 में रमईपुर में जमीन पर कब्जा करने को लेकर विवाद हुआ। कब्जा करने गए वकीलों पर क्षेत्रीय लोग भारी पड़े। गोलियां चलीं, जिसके बाद वकीलों को पीछे हटना पड़ा। चार साल पहले बिठूर में जमीन की पैरोकारी को लेकर तहसील के पास वकीलों के दो पक्षों में विवाद हुआ। एक अधिवक्ता का रिवाल्वर के साथ वीडियो वायरल हुआ। जून 2020 में एक अधिवक्ता की चकेरी में गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्या की सुपारी दी गई थी। यहां भी करोड़ों की जमीन का लेनदेन विवाद था। हिन्दुस्थान समाचार/अजय/मोहित

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