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28.24 करोड़ रुपये एनपीए होने से बैंक की आर्थिक स्थिति खराब

बैंक अधिकारी बकाएदार किसानों से नहीं कर पा रहे वसूली मीरजापुर, 15 फरवरी (हि.स.)। विंध्याचल मण्डल के उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लि. की छह शाखाओं से किसानों को जायद फसलों की खेती करने के लिए ऋण नहीं मिल पाएगा। इन शाखाओं से कर्ज लेने वाले हजारों किसानों ने 28.24 करोड़ रुपये भुगतान ही नहीं किए। बैंक ने इन किसानों के खातों को एनपीए घोषित कर रखा है। किसानों से ऋण की धनराशि न वसूले पाने से बैंक की आर्थिक स्थिति भी खराब हो गयी है। बैंक अधिकारी भी शासन से कोई सहायता न मिलने के कारण बकाएदार किसानों से वसूली नहीं कर पा रहे हैं। उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लि. की यह स्थिति केवल मीरजापुर में ही नहीं हैं बल्कि सोनभद्र और भदोही की भी आर्थिक स्थिति खराब हो गयी है। स्थिति यह है कि बैंक को 28.24 करोड़ रुपये एनपीए खाते में डालना पड़ा। इसका असर यह रहा कि बैंक ने अब जरूरतमंद किसानों को कर्ज देना ही बंद कर दिया है। बैंक के पास किसानों को नया ऋण देने के लिए अब धन ही नहीं है। बैंक की आर्थिक मदद करने वाली नावार्ड भी किसानों को नया ऋण देने के लिए धन नहीं दे रहा है। यहीं नहीं शासन ने भी एकमुश्त समाधान योजना के तहत बकाया ऋण वसूलने के बदले 497 करोड़ रुपये देने की घोषणा की थी। शासन ने भी अपना वायदा नहीं निभाया। इससे बैंक की आर्थिक स्थिति और अधिक खराब हो गयी है। उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लि. के क्षेत्रीय प्रबंधक रामहर्ष प्रसाद ने बताया कि बीते वर्ष जुलाई से दिसम्बर तक चलाए गए विशेष अभियान में लगभग दो करोड़ रुपये ऋण वसूल कर नावार्ड को दे दिया गया है। वहीं शेष धनराशि की वसूली के लिए बैंक ने दोबारा जनवरी माह से एकमुश्त समाधान योजना शुरू किया है। बैंक के कर्जदारों के खिलाफ डीएम के माध्यम से आरसी जारी कराया जा रहा है। इन कार्रवाइयों से अधिकांश ऋण की वसूली हो जाएगी। हालांकि किसानों को नया ऋण देने के लिए शासन को पत्र भेज कर धन की मांग की गयी है। शासन से आर्थिक मदद मिलते ही नये किसानों को कर्ज देने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। एनपीए खातों का बढ़ता गया बोझ उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक की आर्थिक स्थिति एक-दो वर्ष के अंदर खराब नहीं हुई है। बल्कि 2016 से ही बैंक की विभिन्न शाखाओं में एनपीए खाताधारकों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी होती रही। स्थिति यह हो गयी कि बैंक ने 2016 से अब तक कई बार ऋण वसूली के लिए किसानों पर सार्वजनिक सूचनाओं के माध्यम से दबाव बनाया। लेकिन किसानों पर कोई असर नहीं पड़ा। बैंक अफसरों की मानें तो प्रशासन ने भी वसूली के सम्बंध में कोई मदद नहीं की। यहीं वजह रहा कि बैंक एनपीए खाता धारकों का बोझ नहीं झेल पायी और अब कर्ज देना ही बंद कर दिया। हिन्दुस्थान समाचार/गिरजा शंकर/विद्या कान्त-hindusthansamachar.in

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