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सहारनपुर, बरेली, मीरजापुर, सोनभद्र व ओबरा में स्थापित होगा बांस बाजार : दारा सिंह चौहान

- बांस के उपचार के लिए बरेली एवं चित्रकूट में बांस उपचार संयत्र - बरेली में लगेगा कार्बोनाइजेशन संयत्र लखनऊ, 13 मार्च(हि.स.)। उत्तर प्रदेश के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री दारा सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में बांस आधारित शिल्प कला को बढ़ावा देने के लिए सहारनपुर, बरेली, झांसी, मीरजापुर तथा गोरखपुर में सामान्य सुविधा केन्द्रों (सीएफसी) की स्थापना कराई जा रही है। राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के तहत स्थापित किये जाने वाले इन सीएफसी के माध्यम से किसानों, बांस शिल्पकारों तथा उद्यमियों को आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा। उन्होंने निर्देश दिये कि अधिक से अधिक किसानों बांस आधारित खेती तथा उसकी व्यापारिक गतिविधयों से अवगत कराया जाय और किसानों को बांस के खेती करने के लिए प्रोत्साहित भी किया जाय। श्री चौहान शनिवार को कुकरैल स्थित मौलश्री आॅडिटोरियम में उत्तर प्रदेश में बांस क्षेत्र का विकास विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सीएफसी में क्राॅस कट, बाहरा गांठ हटाना, रेडियल स्प्लिटर, स्लाइसर, सिलवरिंग, स्टिक मेकिंग और स्टिक साइजिंग आदि विभिन्न प्रकार की मशीनों की स्थापना होगी। ये केन्द्र बांस कारीगरों के समूहों, स्वयं सहायता समूहों, कृषक उत्पादन संगठनों तथा वन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किये जायेंगे। उन्होंने निर्देश दिए कि सीएफसी से ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ा जाय। विशेष अभियान चलाकर किसानों को इस योजना की जानकारी दी जाय। बैम्बो मिशन के तहत किस प्रकार की सुविधा मिल रही है, इससे किसानों भली-भांति अवगत भी कराया जाय। श्री चौहान ने कहा कि कहा कि किसानों एवं ग्रामीणों द्वारा निर्मित बांस उत्पाद का उचित मूल्य दिलाने के लिए सहारनपुर, बरेली, मीरजापुर, सोनभद्र तथा ओबरा में बांस बाजार (बैम्बू मार्केट) स्थापित कराये जा रहे हैं। यह बाजार उत्पादों की बिक्री और बाजार की प्रवृति के अनुरूप पूरे वर्ष मंच प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगे। इसके अतिरिक्त बाॅंस के उपचार हेतु बरेली एवं चित्रकूट बांस उपचार संयत्र की स्थापना कराई जा रही है। वहीं, बरेली में कार्बोनाइजेशन संयत्र भी स्थापित कराया जा रहा है। इन प्रयासों से किसानों की आय में वृद्धि होगी और चीनी उद्योग को भी लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि बैम्बो क्षेत्र के विकास में यह कार्यशाला मील का पत्थर साबित होगी। प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुनील पाण्डेय ने कहा कि बांस नकदी फसल है। बांस की कई प्रजातियां है, जो 60-70 मिमी0 एक घण्टे में बढ़ जाती हैं। साथ ही बांस 35 प्रतिशत कार्बन डाई आक्साइड भी सोखता है। उन्होंने कहा कि बांस के वृक्षों का वेदों में भी वर्णन किया गया है। इसकी महत्ता हमारे जीवन से जुड़ी है। बांस ऐसा वृक्ष है, जिसके हर भाग का उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसानों को बांस की खेती के लिए सब्सिडी दिये जाने का प्राविधिान है। किसान अपनी भूमि पर हरा सोना उगाकर अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बना सकते है। बांस क्षेत्र के विकास हेतु क्लस्टर आधारित विकास कार्यक्रम चलाये जायेंगे। कारीगरों का समूह बनाकर हस्तकला, शिल्पकला में प्रशिक्षण देने की व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी। मिशन निदेशक, राष्ट्रीय बांस मिशन, डा0 के0 इलन्गो ने कहा कि बांस उत्पादकों की आय में वृद्धि, विपणन तथा कच्चेमाल की उपलब्धता को सुनिचित करने के लिए वर्ष 2019-20 में राष्ट्रीय बांस मिशन की स्थापना हुई है। यह योजना बुंदेलखण्ड और विन्ध्याचल सहित 32 जनपदों में क्रियान्वित की जा रही है। कहाकि उत्तर प्रदेश में बांस क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए नई बांस किस्मों को विकसित किया जा रहा है। हिन्दुस्थान समाचार/

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