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हिन्दी के उन्नायकों में बालकृष्ण भट्ट का अप्रतिम योगदान - डॉ. उदय प्रताप सिंह

प्रयागराज, 03 जून (हि.स.)। हिन्दुस्तानी एकेडमी के तत्वावधान में गुरुवार को पं. बालकृष्ण भट्ट के 177वीं जयंती पर एकेडमी अध्यक्ष डॉ. उदय प्रताप सिंह ने कहा कि हिन्दी के उन्नायकों में बालकृष्ण भट्ट का अप्रतिम योगदान है। खड़ी बोली को व्यवस्थित एवं सुगठित करने में उन्होंने ‘हिन्दी प्रदीप’ के माध्यम से अथक प्रयास किया। हिन्दुस्तानी एकेडमी में आयोजित जयंती पर उन्होंने आगे कहा कि स्वाभिमान और स्वदेशी चेतना से उनका अंतस भरा रहता था। अतः वह समझौता नहीं करते थे। साहित्य के क्षेत्र में अंग्रेजी सत्ता की चूलों को सर्वप्रथम उन्होंने ही झकझोर दिया था। खड़ी बोली की उनकी रचनाओं ‘नूतन ब्रह्मचारी’, ‘सौ अजान एक सुजान’, ‘रहस्य कथा’ (उपन्यास), ‘दमयंती स्वयंवर’, ‘बाल विवाह’, ‘चन्द्रसेन’, ‘रेल का विकट खेल, (नाटक) का हिन्दी गद्य की प्रतिष्ठा में अमूल्य अवदान रहा है। इस अवसर पर उन्होंने घोषणा किया की बालकृष्ण भट्ट की जयंती पर प्रतिवर्ष भाषण-माला का आयोजन किया जाएगा। इसके पूर्व एकेडमी परिसर स्थित पं. बालकृष्ण भट्ट की मूर्ति पर अध्यक्ष डॉ. उदय प्रताप सिंह ने माल्यार्पण किया। आयोजन में ध्रुव शंकर तिवारी, विवेक देव शुक्ल, गोपालजी पाण्डेय, ज्योतिर्मयी, रतन पाण्डेय, संतोष कुमार तिवारी, सुनील कुमार, अंकेश कुमार श्रीवास्तव, अमित कुमार सिंह एवं समस्त एकेडमी परिवार के लोग उपस्थित थे। हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त

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