अयोध्या : मंदिर निर्माण में मुसलमानों को दिख रहा विकास-रोजगार वैश्विक पहचान
अयोध्या : मंदिर निर्माण में मुसलमानों को दिख रहा विकास-रोजगार वैश्विक पहचान

अयोध्या : मंदिर निर्माण में मुसलमानों को दिख रहा विकास-रोजगार वैश्विक पहचान

आमोदकान्त मिश्र अयोध्या, 30 जुलाई (हि.स.)। 500 साल की लड़ाई के बाद अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हुआ है। मुगल शासक बाबर द्वारा मंदिर को विध्वंश करने से उपजे इस विवाद का अब पटाक्षेप हो चुका है। मंदिर निर्माण के भूमि पूजन के लिए 05 अगस्त की तिथि मुकर्रर हो चुकी है। मंदिर निर्माण शुरू होने की घड़ी में धर्म-पंथ से परे हर अयोध्यावासी हर्षित और उत्सुक है। मुस्लिम समाज में भी काफी उत्सुकता है। इन्हें श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण में अयोध्या की न सिर्फ वैश्विक पहचान दिख रही है बल्कि धार्मिक विवाद से परे रोजगार और विकास के साथ इनके हुनर को मिलने वाला मुकाम भी दिखाई देने लगा है। बाबरी मास्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी के मुताबिक आयोध्या में मंदिर बनना एक ऐतिहासिक क्षण है। अयोध्या के आपसी सौहाद्र के लिए अच्छा तो है ही मनभेद मिटा कर निकटता लाने वाला भी है। नये रोजगारों का सृजन इसकी गर्त में छिपा है। अनेक योजनाओं के फलीभूत होने से विकास की राह खुलने की उम्मीद दिख रहीं हैं। इनका मानना है कि अयोध्या अब सिर्फ धर्मनगरी नहीं रहेगी बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। उद्योग-धंधे के अवसर भी बढ़ेंगे। मंदिर बनना अयोध्यावासियों के लिए विकास की नई इबारत लिखने जैसा है। टैक्सी ड्राईवर शोहरत अली ने कहा कि अयोध्या में मंदिर निर्माण हमें आह्लादित कर रहा है। अंतर-राष्ट्रीय स्तर पर अयोध्या का नाम तो है ही, अब इसे अच्छी तरह वैश्विक पहचान मिलेगी। मंदिर निर्माण के बाद रोजी-रोटी के अवसर मिलेंगे। सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद फरीद कुरैशी का कहना है कि इस निर्णय ने विकास की राह खोल दी है। शहर तरक्की करेगा। बिना भेदभाव के सबका भला होगा। पर्यटक आएंगे। रोजी रोजगार मिलेगा। अयोध्या में गंगा-जमुनी तहजीब रही है। मेल जोल रहा है। कभी कोई दिक्कत नहीं रही, लेकिन इस खुशी पर बाहरियों की नजर लगी। उन्होंने ही बवाल करवाया है। अयोध्या के अकबर अली ने कहा कि मंदिर बनने के बाद यहां पर भीड़ बढ़ेगी तो व्यवसाय बढ़ेगा। मंदिर की वजह से हिने वाले दंगा फसाद से मुक्ति मिलेगी। व्यापारी करीम का कहना है कि छोटे उद्योगों का भविष्य उज्ज्वल होगा। खड़ाऊं बनाने वालों की हर सीजन में कमाई होती रहेगी। कढ़ाई-सिलाई जैसे रोजगार करने वालों के घर खुशियां आएंगी। नक्काशी-बुनकरी जैसी कलाओं को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय रोजगार भी फले-फूलेंगे। भगवान के वस्त्र सिलने, फूल की खेती, माला का व्यवसाय आदि से मुस्लिम समाज जुड़ा है। यह मुसलमानों के हक में हैं। नये-नये होटल खुलेंगे। नौजवानों को रोजगार मिलेगा। हिन्दुस्थान समाचार/आमोद/राजेश-hindusthansamachar.in

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