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कार्यस्थल पर यौन उत्पीडन का प्रयास भी दण्डनीय: डाॅ. अर्चना सिंह

- बी.यू. के समाजकार्य संस्थान में आरम्भ हुआ दो दिवसीय अभिविन्यास कार्यक्रम झांसी, 12 फरवरी (हि.स.)। किसी भी कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न का प्रयास भी एक दण्डनीय अपराध है। यह विचार डा. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुर्नवास विश्वविद्यालय, लखनऊ के समाज कार्य विभाग की समन्वयक डा. अर्चना सिंह ने व्यक्त किये। डा. शर्मा शुक्रवार को बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग द्वारा अभिविन्यास कार्यक्रम के अन्तर्गत ‘‘कार्यस्थल पर यौन उत्पीडन अधिनियम: मुद्दे एवं चुनौतियां’ विषय पर अतिथि व्याख्यान देते हुए समाज कार्य के विद्याार्थियों को सम्बोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में अध्ययनरत छात्राओं या कार्यस्थल में कार्यरत महिला शिक्षिकाओं एवं शिक्षणेत्तर महिला कार्मिकों के साथ यदि यौन उत्पीड़न का प्रयास होता है, तथा उनके साथ संस्थान की बस या उसके अन्य परिवहन में यौन उत्पीड़न की कोशिश होती है तो सम्बन्धित महिला या छात्रा द्वारा विश्वविद्यालय में गठित आई सी. सी. सी. में शिकायत की जा सकती है। शिकायतकर्ता का नाम समिति द्वारा उजागर नहीं किया जाता है। प्रत्येक महिला एवं छात्रा को इसके समिति के विषय में जानकारी होनी चाहिए। डा.शर्मा ने कहा कि शिक्षित वर्ग भी कार्यस्थल पर यौन अपराध रोकने से सम्बन्धित अधिनियम के प्रति जागरुक नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ता व सिविल सोसायटी को महिला अपराधों के प्रति आम जन को जागरुक करना चाहिए। दो दिवसीय अभिविन्यास कार्यक्रम के पहले दिन ‘‘लैंगिक मुद्दे एवं नारीवाद’’ विषय पर व्याख्यान देते हुए डाॅ. अर्चना सिंह ने कहा कि सारे काम पुरूष भी कर सकते है, लेकिन पुरुष के कार्यों को वित्त से जोड़ लिया जाता है तो सारे कार्य अच्छे से हो जाते है, लेकिन घर में कपड़े धोना, घर में खाना बनाना आदि कार्यों को महिलायें भी पुरुषों से करवाना पसन्द नहीं करतीं, तथा वह घरों में निर्णय करने की शक्ति भी पुरूष को दे देती हैं। महिलाओं के पास भी आज भी निर्णय करने और पसन्द के अधिकार कम होते हैं। महिलाओं की पसन्द समाज के पुरूष र्निधारित कर रहे है तो यहां पर सशक्तिकरण यह कहता है कि पसन्द का निर्णय महिलाओं के पास भी हो, लेकिन पितृसत्ता ये अधिकार महिलाओं को नहीं देती। मुख्य वक्ता डा. अर्चना सिंह ने कहा कि अगर हम लड़कों को लड़कियों के सम्मान हेतु कहते हैं, तो लड़कियां भी उस सम्मान की हकदार तब है जब वह उस सम्मान की तरह आचरण करेगी। उन्होनें कहा कि महिलाओं को महिला कल्याण के लिए अधिनियमों का गलत उपयोग नहीं करना चाहिये, क्योंकि उसके घर में माँ बहिन है तो आपके घर में भी बाप भाई है। मर्द को दर्द होता है, लेकिन वे रो नहीं पाते, फलतः हार्ट अटैक की घटनायें भी अधिक होती हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभाग की पूर्व समन्वयक डा. नेहा मिश्रा ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ताओं का यह कर्तव्य होता है कि अपने आस-पास हो रही ऐसी घटनाओं के प्रति सजग रहे और अपने स्तर से लोगों को जागरूक रहें। कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए विभाग के समन्वयक डा. अनूप कुमार ने आमंत्रित अतिथियो ंका स्वागत किया तथा कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन क्षेत्रीय कार्य निदेशक डा. मुहम्मद नईम ने किया जबकि आभार डा. यतीन्द्र मिश्रा ने व्यक्त किया। इस अवसर पर डा. अजय कुमार गुप्ता, संजीव गुप्ता, डा. शैलजा वर्मा, पवन कुमार, मीरा देवी, प्रतिभा भास्कर, माधवी, उदय अग्निहोत्री, इकबाल खान, पारसमणि अग्रवाल सहित अन्य विद्यार्थी उपस्थित रहे। हिन्दुस्थान समाचार/महेश-hindusthansamachar.in

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