जब-जब धरा पर पापियों का वर्चस्व बढ़ा, भगवान ने अवतार लिया : रामकृष्ण वेदान्ती
बांदा, 29 दिसम्बर (हि.स.)। शहर के संत तुलसी पब्लिक स्कूल में कथा के चौथे दिन कथावाचक रामकृष्ण वेदान्ती जी महाराज चित्रकूट ने भगवान श्री राम जी का जन्म व उनके बाल्यकाल की कथा बतायी। कथा का प्रारम्भ अपरान्ह भगवान की आरती के साथ हुआ। प्रतिदिन की भांति प्रातःकाल रामायण का संगीतमय पाठ हुआ तथा उसके पश्चात गायत्री परिवार द्वारा पंच कुंडीय महायज्ञ का आयोजन ग्राम अरबईकी बहनों द्वारा रामराज जी के नेतृत्व में किया गया। कथावाचक वेदान्ती जी महाराज ने कहा कि जब-जब इस धरा पर पापियों का वर्चस्व बढ़ा है और धर्म की हानि हुई है, तब-तब भगवान ने मनुष्य रूप में अवतार लेकर पापियों का नाश किया है और पुनः धर्म की स्थापना की है। ऐसा ही भगवान श्री विष्णु जी ने त्रेतायुग में अयोध्या के महाराज दशरथ जी के यहां श्री राम चन्द्र जी के नाम से अवतार लेकर पापियों का नाश कर धर्मयुग की स्थापना की। राम जन्म की बाल लीलाओं की कथा बड़े ही सुन्दर ढंग से बताते हुए उन्होंने कहा कि महाराज दशरथ जी को जब यह समाचार मिला कि उनके घर चार सुकुमारो ने जन्म लिया है, चारों तरफ खुशियां मनायी जाने लगीं। मंगल गीत गाये जाने लगे, पूरे नगर में बधाईयां दी जाने लगी। इसी तरह कथास्थल में भी भक्तजनों ने भगवान श्री राम चन्द्र जी का जन्मोत्सव बडे ही धूम-धाम से मनाया। चारों तरफ आनन्द ही आनन्द हो गया। भगवान श्री रामचन्द्र जी के जयकारे लगने लगे। भये प्रगट कृपाला, दीन दयाला के गीत गाये गये। उन्होंने ठाकुर जी के अद्भुत स्वरूप का वर्णन करते हुए कहा कि उनके रोम-रोम में अनन्त ब्राम्हांड बसे हुए हैं। माता कौशिल्या की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए भगवान ने उनके पुत्र के रूप में अवतार लिया। भगवान का बाल्य रूप बड़ा ही मनोहारी था। महल में मानो खुशियों की बरसात सी होने लगी हो। कुलगुरू वशिष्ठ जी से उनका नामकरण कराया। हिन्दुस्थान समाचार/अनिल/मोहित-hindusthansamachar.in