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एंटीसेप्टीक गुणों से भरपूर पिपरमिंट हर तरह के दर्द में लाभदायक

-आयुर्वेदाचार्य ने कहा, मेंथा उल्टी-दस्त को रोकने में सहायक, पाचन शक्ति बढ़ाने में कारगर लखनऊ, 13 मार्च (हि.स.)। दर्दनिवारक गुणों को अपने आप में समेटे हुए मेंथा (पिपरमिंट) कई बीमारियों के लिए लाभदायक है। पिपरमिंट एन्टीसेप्टीक (रोगाणु को फैलने से रोकने वाला) , दर्द निवारक और पाचन शक्ति बढ़ाने में मददगार होता है। यह गठिया के दर्द में फायदेमंद होने के अलावा उल्टी रोकने में भी सहायता करता है। इस संबंध में बीएचयू के पंचकर्म विभाग के विभागध्यक्ष डॉक्टर जेपी सिंह का कहना है कि यह दांतों का दर्द, पेट का दर्द, सर का दर्द, पेट की गड़बड़ी आदि में काफी लाभदायक है। इसके तेल और रस आदि का इस्तेमाल चिकित्सा में किया जाता है। मेंथा का तेल अल्प पूयरोधी (पाइरिया में लाभकारी), पित्तवर्धक (पित्त को बढ़ाने वाला), जीवाणुरोधी तथा कीटनाशक होता है। इसके अलावा पिपरमिंट का तेल दर्दनिवारक भी होता है। उन्होंने बताया कि पेपरमिंट का एन्टीबैक्टिरीयल, एन्टीसेप्टिक और पेनकिलर आदि गुण कई तरह की बीमारियों के लिए फायदेमंद साबित होता है। दिन भर काम के तनाव के वजह से या मौसम के कारण सिरदर्द में पिपरमिंट पञ्चाङ्ग को पीसकर मस्तक पर लगाने से आराम मिलता है। डॉ. जेपी सिंह ने बताया कि आजकल बच्चे से लेकर बूढ़े सभी दाँत दर्द से किसी न किसी समय परेशान होते ही हैं। पिपरमिंट के क्रिस्टल को दांतों के बीच में रखकर दबाने से दांत दर्द में लाभ होता है। उन्होंने हिन्दुस्थान समाचार से कहा कि सर्दी से आराम दिलाने में पिपरमिंट बहुत ही गुणकारी होता है। पिपरमिंट का बफारा या भाप लेने से सर्दी आदि कफ वाले बीमारियों से राहत मिलती है। उन्होंने कहा कि दस्त होने पर पिपरमिंट का सेवन करने पर लाभ मिलता है। पिपरमिंट के पत्तों का काढ़ा बनाकर 5-10 मिली मात्रा में पीने से मरोड़युक्त अतिसार या दस्त, पेट संबंधी समस्या तथा पेट दर्द में लाभ मिलता है। पिपरमिंट तेल का प्रयोग जठरांत्र विकार यानि पेट संबंधी रोगों के चिकित्सा में किया जाता है। अक्सर मसालेदार खाना या ज्यादा खाना खा लेने से पेट में गैस हो जाती है जो पेट दर्द का कारण बन जाता है। घर में पेट दर्द से जल्द आराम पाने के लिए 25 मिग्रा पिपरमिंट के निचोड़ में शक्कर मिलाकर सेवन करने से पेट दर्द से राहत मिलती है। उन्होंने कहा कि जोड़ो में दर्द होने पर पिपरमिंट पञ्चाङ्ग को पीसकर लेप करने से गठिया संक्रात और नर्व संबंधी दर्द में लाभ मिलता है। चींटी आदि कीटों के काटने से होने वाली दर्द से तुरन्त राहत पाने के लिए पिपरमिंट के पत्तों को पीसकर दर्द वाले स्थान पर लगाने से दर्द से राहत मिलती है। तेल साइनस की समस्या में भी मदद करता है क्योंकि इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है। उन्होंने कहा कि पिपरमिंट के तेल में एंटी एलर्जिक एवं एंटी इंफ्लामेटरी गुण पाए जाने के कारण यह एलर्जी में भी लाभदायक होता है। पिपरमिंट में पाए जाने वाले उष्ण गुण के कारण मंदाग्नि को सामान्य कर पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/दीपक

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