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भ्रष्टाचार मामले में सिंचाई विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज

प्रयागराज, 17 जून (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सिचाई विभाग के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता को भ्रष्टाचार व धोखाधड़ी मामले में राहत देने से इंकार कर दिया और इनकी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी। गुरुवार को कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के सुशीला अग्रवाल केस के हवाले से कहा है कि आर्थिक अपराध केस में अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती। एफआईआर दर्ज हुए 20 साल बीते। इन्होंने विवेचना में सहयोग नहीं किया और चार्जशीट दाखिल होने के बाद कोर्ट में हाजिर नहीं हुए। जब गैर जमानती वारंट जारी किया गया है तो कोर्ट में समर्पण के बजाय अग्रिम जमानत अर्जी दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने जगदीश मोहन की अर्जी पर दिया है। प्रयागराज के सिविल लाइन थाने में 09 अगस्त, 2001 को एफआईआर दर्ज की गयी। जिसमें याची पर मेसर्स फ्रंटियर कंस्ट्रक्शन कम्पनी की मिलीभगत से भारी वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया गया। याची सितम्बर, 1996 में सेवानिवृत्त हो चुका है और 98 में विभागीय अनापत्ति भी दी जा चुकी है। याची का कहना था कि 82 वर्ष की आयु मे बीमारियों से ग्रस्त है, उसे अग्रिम जमानत दी जाय। सरकार की तरफ से कहा गया कि यह कार्यवाही में सहयोग नहीं कर रहे हैं। वाराणसी की विशेष अदालत ने हाजिर न होने पर गैर जमानती वारंट जारी किया था। हाईकोर्ट ने पुलिस रिपोर्ट पेश होने या छह हफ्ते तक वारंट पर रोक लगा दी थी। इसके बाद भी कोर्ट में समर्पण नहीं किया है। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/विद्या कान्त

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