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ज्ञानवापी मामले में एक और याचिका दाखिल, पूजा का अधिकार फिर से बहाल करने की अपील

- श्रृंगार गौरी और आदि विश्वेश्वर की ओर से दाखिल याचिका को लेकर बढ़ी सरगर्मी वाराणसी, 18 फरवरी (हि.स.)। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में न्यायालय के फैसले पर लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं। इस मामले में गुरुवार को एक और याचिका दाखिल की गई। श्रृंगार गौरी और आदि विश्वेश्वर की ओर से दाखिल नई याचिका में वाद मित्र रंजना अग्निहोत्री, जितेंद्र सिंह सहित आठ अन्य लोगों ने न्यायालय से अपील की है कि भगवान आदि विश्वेश्वर और देवी श्रृंगार गौरी की अनवरत सेवा पूजा का अधिकार फिर से बहाल किया जाय। याचिका प्रभारी अपर सिविल जज द्वितीय की अदालत में दाखिल किया गया है। जज द्वितीय कुमुदलता त्रिपाठी ने याचिका की पोषणीयता पर सुनवाई के लिए नियमित अदालत को संदर्भित कर दिया है। याचिका में कहा गया है कि प्राचीन पौराणिक देवता पूरे भू-भाग के कानूनन स्वामी हैं। उस भू-भाग के एक हिस्से पर जबरन किए गए निर्माण को मस्जिद नहीं कहा जा सकता। उसे वक्फ भी नहीं बनाया जा सकता। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि दूसरा पक्ष मंदिर के किसी भी हिस्से का उपयोग करने का अधिकारी नहीं हो सकता। याचिका में उल्लेख किया गया है कि काशी विश्वनाथ अधिनियम-1983 पुराने मंदिर में मौजूद ज्योतिर्लिंग और आदि विश्वेश्वर के अस्तित्व को मान्यता देता है। देवी गंगा, हनुमान, गणेश, नंदी और आदि विश्वेश्वर के साथ मां श्रृंगार गौरी के उपासक समर्पित देवी-देवताओं के पूजा करने के अधिकारी हैं। याचिका में धर्म स्थल अधिनियम 1991 को चुनौती देते हुए इसे संविधान के अनुच्छेद 25 में दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ बताया गया है। याचिका में कहा गया है कि आदि विश्वेश्वर मंदिर के मूल अहाते में देवी श्रृंगार गौरी की पूजा निरंतर होने के भी प्रमाण भी है। सन 1669 में तत्कालीन मुगल शासक औरंगजेब ने श्रृंगार गौरी के भव्य मंदिर के एक बड़े हिस्से को ध्वस्त करा दिया था। इसके पहले याचिका कर्ताओं ने पत्रकारों को इस मामले में जानकारी भी दी। गौरतलब हो कि मामले में जिला जज की अदालत में क्षेत्राधिकार को लेकर पुनरीक्षण याचिका दायर है। फास्ट ट्रैक कोर्ट में अपील दायर कर ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण की अनुमति मांगी गयी है। काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अगली सुनवाई 26 फरवरी को है। द्यारिका शारदापीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पक्षकार बनाये जाने का प्रार्थना पत्र न्यायालय में दिया है। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर-hindusthansamachar.in

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