सुख और दुख के साथी हैं पशु-पक्षी: विद्या विन्दु सिंह

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- घरों व आस-पास पशु पक्षियों के लिए दाना-पानी रखने की अपील लखनऊ, 13 जून (हि.स.)। लोक विश्वास में पशु-पक्षी मनुष्य के सहचर हैं। हंस मन का प्रतीक है। कौआ संदेशवाहक है। कोयल और पपीहा दर्द के गायक हैं। पक्षियों को आभास हो जाता है कि कहां अमंगल होने वाला है। आदि काल से लिखित व वाचिक साहित्य में, पंचतंत्र की कथाओं में पशु-पक्षियों के अनेक प्रसंग मिलते हैं। ये हमारे सुख-दुख के साथी और प्रकृति के अभिन्न अंग हैं। ये बातें वरिष्ठ साहित्यकार डॉ विद्या विन्दु सिंह ने रविवार को लोक संस्कृति शोध संस्थान की 27वीं लोक चौपाल में कहीं। यहां पशु-पक्षी और लोक जीवन पर चर्चा हुई। चौधरी के रूप में सम्मिलित संगीत विदुषी प्रोफेसर कमला श्रीवास्तव, लोक विदुषी डॉ विद्या विन्दु सिंह व लोक साहित्य मर्मज्ञ डॉ रामबहादुर मिश्र ने पशु-पक्षी और उनके मानवीय अंतरसम्बन्धों पर चर्चा करते हुए पशु-पक्षियों के संरक्षण पर जोर दिया। लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने कहा कि भीषण गर्मी के मौसम में जल स्रोतों के सूख जाने के कारण पशु-पक्षी दाना-पानी न मिलने से असमय काल कवलित हो जाते हैं। अनेक पशु-पक्षियों की प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं और कई विलुप्ति की कगार पर हैं। ये पशु-पक्षी हमारे पर्यावरण के अभिन्न अंग हैं, इनकी देख-रेख की जिम्मेदारी व सुरक्षा करना हमारा नैतिक दायित्व है। गीत-संगीत में भी दिखा पक्षियों का कलरव चौपाल में पशु-पक्षियों से जुड़े गीत-संगीत की मनमोहक प्रस्तुतियां हुईं। शुरुआत संगीत प्रो कमला श्रीवास्तव ने मुण्डेरे पर कागा बोले भिनुसारे तथा कोयल तोरी बोलिया मीठ मीठ लागे... से की। लोक गायिका मधु श्रीवास्तव ने अरी अरी कारी कोयलिया अंगन मोरे आवहु हो, इन्दु सारस्वत ने छोटी छोटी गइया और निबिया कै बिरवा पे बोले कोयलिया, अरुणा उपाध्याय कोयल अमवा के डारी देखो कुहुके सजनी, पूनम सिंह नेगी ने काले भंवरे ने कली चटकाई से प्रकृति के चटकार रंगों से सबको सराबोर कर दिया। काव्य पाठ के क्रम में बाल कवयित्री स्वरा त्रिपाठी ने आओ फिर से आंगन में गौरेया को बुलायें सुनाया। वरिष्ठ कवि शिवपूजन शुक्ल ने मास असढ़वा के पहली बदरिया, सरिता अग्रवाल ने काली कोयल बैठी आम डाल पर, उमा त्रिगुणायत ने तोता हरे रेग का होता जिसको पाल रहे काका, गीतकार संजय अवधी ने अवधी बाल गीत आव चिरैया खाना दी.... प्रस्तुत किया। चौपाल में हरिकृष्ण गुप्ता, डॉ भारती सिंह, टीटी सुनील, हेमलता त्रिपाठी, स्नेह बिन्दल, अनिता श्रीवास्तव, आशा श्रीवास्तव, डॉ एसके गोपाल आदि की प्रमुख उपस्थिति रही। हिन्दुस्थान समाचार/दीपक/राजेश

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