अब मीरजापुर में होगी अमेरिकी ड्रेगन फ्रूट की खेती
अब मीरजापुर में होगी अमेरिकी ड्रेगन फ्रूट की खेती

अब मीरजापुर में होगी अमेरिकी ड्रेगन फ्रूट की खेती

उद्यान विभाग जिले में लगवाएगा दस हजार ड्रैगन फ्रूट मीरजापुर, 02 जुलाई (हि.स.)। अमेरिकी मूल के फल ड्रैगन फ्रूट में पोषक तत्वों की भरमार है, भारत में भी इसकी खेती पर जोर दिया जा रहा है। इसे पिताया या स्ट्रॉबेरी पीयर के नाम से भी जाना जाता है। ऊपर से काफी ऊबड़-खाबड़ सा दिखने वाला ये फल अंदर से काफी मुलायम और टेस्टी होता है। जिले के किसान अब ड्रैंगन फ्रूट की खेती कर न केवल अपनी आय में वृद्धि करेंगे, बल्कि ब्लड शुगर और हार्ट के मरीजों की दिक्कतों को भी दूर कर सकेगें। मूलतः दक्षिणी अमेरिका में पाया जाने वाला यह फल अब जिले में किसानों के खेतों और बागों में उगाया जाएगा। उद्यान विभाग ने लगभग दस हजार पौधा लगवाने का लक्ष्य तय किया है। पिछले वर्ष प्रयोग के तौर पर जिला उद्यान अधिकारी मेवाराम ने सिटी ब्लाक के नुआंव व राजगढ़ ब्लाक के सक्तेशगढ़ में कुछ किसानों के यहां लगभग दो सौ पौधे लगवाए थे। इसके बेहतर नतीजे आने के बाद इस वर्ष नया लक्ष्य तय किया है। उद्यान विभाग पश्चिम बंगाल से इसके पौधे 50 से 60 रुपये में मंगवा कर किसानों को उसी मूल्य पर मुहैया कराएगा। इस फल की खासियत यह है कि रक्त में प्लाजमा को बढ़ाता है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मृदा वैज्ञानिक डा.एसएन सिंह की मानें तो चिकित्सक इसे डेंगू पीड़ित मरीजों को भी खाने की सलाह देते है। उन्होने बताया कि ड्रैगन फ्रूट में प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट के साथ-साथ बेटासानिन, लेवोनोइड, फेनोलिक एसिड, एस्कॉर्बिक एसिड और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह तत्व ब्लड में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करने में सहायक साबित होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट हृदय की धमनियों की कठोरता करने का काम करते हैं, इससे हार्ट अटैक का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। यहीं नहीं इस फल में पाए जाने वाले डायट्री फाइबर खून में कोलेस्ट्राल की मात्रा को नियंत्रित करने के साथ-साथ दिल के जोखिमों को भी काफी हद तक कम करने का काम करते हैं। पाचन और कब्ज से भी लोगों को निजात दिलाता है। वहीं जिला उद्यान अधिकारी के अनुसार बाजार में यह ढाई सौ से चार सौ रुपये किलो बिकता है। यह दोमट मिट्टी में उगाया जा सकता है। इसकी खेती करने के लिए किसान को खेत में पिलर बनवाना पड़ता है। उसी की लागत अधिक पड़ती है। इसका पौधा नागफनी की तरह कंटीला और नाजुक होता है। पिलर के सहारे खड़ा करना पड़ता है। यहीं नहीं यह मात्र 18 महीने में फल देने लगता है। इसकी उम्र लगभग डेढ़ दशक है। प्रति एकड़ छह कुंतल फल पैदा होता है। पौधों को पोषक तत्व के तौर पर गोबर की खाद दी जाती है। साथ ही सिंचाई के लिए पानी काफी कम लगता है। इसका फल तरबूज की तरह होता है। काटने पर अंदर सफेद और काले रंग का बीज होता है। तरबूज की तरह इसे लोग खाते है। इम्यूनिटी बढ़ाने में मददगार है ड्रैंगन फ्रूट ब्लड शुगर और हार्ट रोगियों के लिए ही नहीं ड्रैंगन फ्रूट इम्यूनिटी बढ़ाने में भी मददगार है। इसके अलावा आर्थराइटिस, डेंगू, अस्थमा, कोग्निटल ग्लूकोमा मरीजों के लिए भी मददगार है। डा.एसएन सिंह के मुताबिक ड्रैगन फ्रूट में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट और एंटी टॉक्सिक गुण शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाने में लाभकारी साबित हो सकते हैं। इसे नियमित आहार में इस्तेमाल शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदगार साबित होता है। त्वचा को जवां बनाने में मददगार कृषि वैज्ञानिक डा. एसएन सिंह के मुताबिक ड्रैगन फ्रूट में विटामिन बी और सी पाया जाता हैं। यह त्वचा के लिए काफी लाभदायक है। विटामिन सी त्वचा के खिंचाव और तनाव को बरकरार रखने में कारगर साबित होता हैं। विटामिन बी-3 की भरपूर मात्रा होने के कारण यह सनबर्न में भी काफी मददगार साबित होता है। हिन्दुस्थान समाचार/गिरजा शंकर/विद्या कान्त-hindusthansamachar.in

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