वाराणसी से भी अमर सिंह का रहा गहरा नाता, पूर्वांचल में क्षत्रियों के बीच बने थे आईकॉन
वाराणसी, 01 जुलाई (हि.स.)। कभी समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेताओं में शुमार रहे राज्यसभा सांसद अमर सिंह का वाराणसी से भी गहरा नाता रहा है। शनिवार को उनके निधन की जानकारी पाकर उनसे जुड़े रहे नेता और कार्यकर्ता गमगीन हो गये। वाराणसी में अपने राजनीतिक दिनों के उफान के दिनों से लेकर आखिरी समय तक वे ज्यादातर क्षत्रिय समुदाय के युवाओं से ही ज्यादा लगाव रखते थे। समाजवादी पार्टी में अमर सिंह का कद बढ़ने के बाद अन्य समुदाय के नेता उनसे अंदर ही अंदर जलन का भाव रखते थे। वर्ष 2010 में सपा से बाहर होने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय लोकमंच नाम से अपनी पार्टी बनाई। तब वाराणसी में कई क्षत्रिय समुदाय के युवाओं ने सपा छोड़ अमर सिंह का दामन थाम लिया था। अमर सिंह ने भी पूरे ठसक से पूर्वांचल का सिरमौर नेता बनने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी। लगातार रथयात्रा और जनसम्पर्क यात्राओं में फिल्मी हीरो-हिरोइन को लेकर अपनी उपस्थिति बनाये रहे। लेकिन चुनावों में पार्टी की हालत खस्ता देख उन्होंने फिर सपा की ओर रूख किया। लेकिन उन्हें पार्टी में जब तवज्जों नही मिला तो उन्होंने प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रो.रामगोपाल यादव पर सीधे निशाना साधा। पार्टी के कद्दावर नेता आजम खा और उनके समर्थकों से भी अमर सिंह की कभी नही बनी। इस दौरान वे भाजपा के करीबी होने का भी प्रयास करते रहे। समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेता बताते है कि वाराणसी में अमर सिंह के सबसे करीबी नेता सुशील सिंह रघुवंशी रहे। सुशील की असामायिक निधन से अमर सिंह को काफी धक्का लगा था। वाराणसी में जब भी अमर सिंह आते थे तो अखबारों के सम्पादकों और जाति विशेष के पत्रकारों से ही मिलना पसंद करते थे। राज्य के राजनीति की मुख्यधारा से कटने के बाद अपनी पहचान बनाने के लिए विवादित बयान देने से भी गुरेज नही करते थे। जानकार बताते है कि अमर सिंह जोड़-तोड़ की राजनीति के खिलाड़ी रहे। जमीनी राजनीतिक पर हमेशा कमजोर ही रहे। अपने उंचे संम्पर्कों और जोड़-तोड़ का लाभ उठाकर समाजवादी पार्टी में नम्बर दो का स्थान बना लेने में सफल रहे अमर सिंह स्थानीय कद्दावर नेताओं को रास नही आते थे। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/दीपक-hindusthansamachar.in