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शौर्य और पराक्रम की प्रतिमूर्ति थे अमर शहीद लेफ्टिनेंट नवनीत राय

.- अमर शहीद लेफ्टिनेंट नवनीत राय की बीसवीं पुण्यतिथि पर हवन यज्ञ कर लोगों ने दी श्रद्धांजलि - चक्करपुरवा स्थित आवास पर हुआ श्रद्धार्पण समारोह लखनऊ, 29 जनवरी (हि.स.)। कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकियों के ठिकाने में घुसकर उन्हें मार गिराने वाले अमर शहीद लेफ्टिनेंट नवनीत राय की बीसवीं पुण्यतिथि पर राजधानी वासियों ने उन्हे याद किया। निशातगंज के पेपरमिल रोड के चक्करपुरवा स्थित आवास पर अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी सेवा न्यास के सहयोग से आयोजित श्रद्धार्पण समारोह में हवन-पूजन के साथ उनके शौर्य व पराक्रम की चर्चा हुई। कार्यक्रम में अमर शहीद लेफ्टिनेंट नवनीत राय की माता मृदुला राय, पिता डी.एन. राय, बहन नविता शर्मा, बहनोई वीरेन्द्र शर्मा, भांजी अर्चिशा शर्मा, पूर्व आईपीएस सी.वी. राय, नरेन्द्र राय, अरूण राय के साथ ही अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी सेवा न्यास के अध्यक्ष परमानंद पांडेय, उपाध्यक्ष दुर्गा प्रसाद दुबे, दिग्विजय मिश्र, महासचिव एस.के. गोपाल, संयुक्त सचिव राधेश्याम पाण्डेय, जे.पी. सिंह, लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी, सुमन पाण्डेय, दिव्यांशु दुबे, पुनीत निगम, प्रसून पाण्डेय, अखिलेश द्विवेदी, दशरथ महतो, शाश्वत पाठक, सुनील मिश्रा, उमाकान्त मिश्रा, जादूगर सुरेश, क्षेत्रीय पार्षद गब्बर सिंह, सहित अनेक गणमान्य लोग सम्मिलित हुए। स्थापित हो शहीद की प्रतिमा अन्तरराष्ट्रीय भोजपुरी सेवा न्यास के अध्यक्ष परमानंद पांडेय ने बताया कि नगर निगम ने लेफ्टिनेंट नवनीत राय की स्मृति में पेपरमिल रोड पर प्रवेश द्वार और एक पार्क की स्थापना की है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वर्ष 2001 में शहीद की प्रतिमा स्थापित करने की घोषणा की थी, किन्तु आज तक प्रतिमा स्थापित नहीं हो पायी। पार्क भी बदहाल है और वहां अराजक तत्वों का जमावड़ा होता है। पेपरमिल कॉलोनी का नामकरण नवनीत नगर किया गया किन्तु वह आज तक अस्तित्व में नहीं आ सका। अन्तर्राष्ट्रीय भोजपुरी सेवा न्यास ने सरकार से मांग की है कि पार्क का सौन्दर्यीकरण कराकर पार्क में उनकी भव्य प्रतिमा स्थापित की जाये, जिससे आने वाली पीढ़ी देशप्रेम की प्रेरणा ले सके। कैसे शहीद हुए थे नवनीत 29 जनवरी 2001 को लेफ्टिनेंट नवनीत अपने साथियों के साथ कश्मीर के कुपवाड़ा में खतरनाक काम्बिंग मिशन में थे, जब उनकी टुकड़ी पर हमला हुआ। पैरों में गोली लगने के बाद भी उन्होने पीठ नहीं दिखाई, बल्कि आतंकवादियों को ललकार कर उन पर निशाना साधना शुरू किया। आतंकवादियों के छिपने के ठिकाने में घुसकर उन्हे मौत के घाट उतार दिया। मुठभेड़ के दौरान ही आतंकियों की एक गोली इनके सिर के आर-पार हो गई और आतंकियों से युद्ध के दौरान उन्हांने वीरगति प्राप्त की। उनका पार्थिव शरीर जब अमौसी हवाई अड्डे पर उतारा गया तो तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने स्वयं उपस्थित रहकर श्रद्धांजलि अर्पित की थी। पूर्वांचल के थे नवनीत : लखनऊ में पायी थी शिक्षा लेफ्टिनेंट नवनीत राय गोरखपुर के बेबरी कोठी, गोला बाजार के मूल निवासी तथा उच्च शिक्षित एवं सम्पन्न परिवार के थे। इनका जन्म 28 अक्टूबर 1975 को लखनऊ में हुआ था। इण्टर तक की शिक्षा स्प्रिंगडेल कॉलेज, लखनऊ और बीए की शिक्षा लखनऊ विश्वविद्यालय से ली थी। स्कूल के दौरान राज्य के सर्वोत्तम एनसीसी कैडेट के रूप में बेस्ट कैडेट मेडल तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा प्रदान किया गया था। वर्ष 1998 की सीडीएस परीक्षा में देश में तीसरा स्थान प्राप्त किया। देहरादून डिफेन्स एकेडमी से ट्रेनिंग के बाद 12 जून 1999 को कमीशन प्राप्त किया। पहली पोस्टिंग मेघालय में 14 राजपूत इनफेन्ट्री में लेफ्टिनेन्ट के रूप में तथा दूसरी कश्मीर के कुपवाड़ा में हुई। वर्ष 2000 के जून में वे आतंकियों के हैण्डग्रेनेड आक्रमण में घायल होकर श्रीनगर बेस हास्पिटल में एक माह भर्ती रहे। उनकी स्वरचित पंक्ति “राजपूत के वीर है हम... काल के त्रिकाल हैं...कूदते युद्धभूमि में...तो करते भूमि लाल हैं...” से स्पष्ट है कि उन्हे अपने रेजिमेण्ट पर गर्व था। वे राजपूत रेजिमेण्ट के जुझारू व साहसी अधिकारी माने जाते थे। अभिनय, लेखन, घुड़सवारी व क्रिकेट खेलने के शौकीन नवनीत पूर्णतया शाकाहारी थे। शहीद लेफ्टिनेंट नवनीत अपने पिता के इकलौते पुत्र थे। आपकी एकमात्र बहन नविता राय हैं। हिन्दुस्थान समाचार/दीपक-hindusthansamachar.in

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