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पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती

प्रयागराज, 23 फरवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश पंचायती राज संशोधन अधिनियम 2000 के एक्ट 22 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। संशोधित धारा के तहत पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति की व्यवस्था को असंविधानिक घोषित करने की मांग पर कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। पंचायत राज ग्राम प्रधान संगठन की याचिका पर न्यायमूर्ति मनोज कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति रविनाथ तिलहरी ने सुनवाई की। याची के अधिवक्ता भोलानाथ यादव, अभिषेक कुमार और मुरलीधर का कहना था कि संशोधन अधिनियम 2000 के तहत पंचायतों में प्रशासनिक समिति जिसमें ऐसे सदस्यों की नियुक्ति की जाती है जो ग्राम प्रधान होने की योग्यता रखते हों या प्रशासक की नियुक्ति की व्यवस्था है। सामान्य रूप से इनकी नियुक्ति छह माह के लिए होती या विशेष परिस्थितियों में इस कार्यकाल को बढ़ाया भी जा सकता है। संशोधन अधिनियम को लखनऊ खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी गई थी। लखनऊ पीठ ने संशोधन को असंविधानिक घोषित कर दिया है। प्रशासक या कमेटी का कार्यकाल छह माह पूरा होने तक नया चुनाव कराना उचित नहीं है। प्रदेश सरकार की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि लखनऊ पीठ के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। इस दौरान अध्यादेश पारित कर दिया गया। बाद में सुप्रीमकोर्ट ने याचिका अर्थहीन होने के आधार पर खारिज कर दी। हाईकोर्ट की ही खंडपीठ ने 30 अप्रैल तक पंचायत चुनाव कराने का निर्देश दिया है। ऐसे में याचिका पोषणीय नहीं है। कोर्ट ने कहा कि याचिका में कई प्रश्न उठाए गए हैं। इसलिए प्रदेश सरकार चार सप्ताह में जवाब दाखिल करे। कोर्ट ने महाधिवक्ता को भी नोटिस को तामील कराने का निर्देश दिया है। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन

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