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बालिग लड़का तरावीह पढ़ा सकता है : कुल हिन्द इस्लामिक इल्मी अकादमी

- रमजान में कुल हिन्द इस्लामिक इल्मी अकादमी कानपुर की अल-शरिया हेल्पलाइन से पूछे गए प्रश्नों के उत्तर कानपुर,15 अप्रैल (हि.स.)। रमजान में रोजे और इबादत को लेकर गुरुवार को कुल हिन्द इस्लामिक फिल्मी एक आदमी से हिन्दुस्थान समाचार ने बातचीत की। इस दौरान उनसे हुई प्रश्नोत्तरी बातचीत का कुछ अंश इस प्रकार से हैं। प्रश्न:- किस उम्र का लड़का तरावीह पढ़ा सकता है ? उत्तर:- बालिग लड़का तरावीह पढ़ा सकता है, अगर बालिग होने की अलामत (संकेत) लड़के में ना हों तो शरीअत के अनुसार चांद की तारीख के ऐतबार से 15 साल की उम्र पूरी होने पर बालिग होने का हुक्म दिया जाता है। प्रश्न:- क्या एक व्यक्ति एक ही दिन में दो जगह तरावीह पढ़ा सकता है ? उत्तर:- अगर एक ही दिन में दोनों जगह पूरी-पूरी तरावीह पढ़ाये तो दूसरी जगह वालों की तरावीह दुरुस्त नहीं होगी। प्रश्न:- घर में तरावीह की जमाअत करना कैसा है ? उत्तर:- घर पर जमाअत से तरावीह की नमाज दुरुस्त है , लेकिन मस्जिद की फजीलत से महरूम रहेंगे। प्रश्न:- बगैर सेहरी खाये रोजा रखना दुरुस्त है या नहीं ? उत्तर:- सेहरी करना रोजे के लिये मुस्तहब है, बगैर सेहरी के भी रोजा हो जाता है। प्रश्न:- रमजान में फज्र की जमाअत जल्दी करना कैसा है? उत्तर:- रमजान मुबारक में फज्र की नमाज शुरूआती वक्त में पढ़ना ज्यादा बेहतर है, ताकि सब लोग सेहरी से फारिग होकर जमाअत में शिर्कत कर सकें और जमाअत बड़ी हो, वरना विलम्ब की दशा में लोग सो जायेंगे और जमाअत से महरूह हो जायेंगे, इसलिये रमजान में फज्र की नमाज अव्वल वक्त में पढ़ लेनी चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार/महमूद

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