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प्रसिद्ध देवीपाटन मेला को लेकर प्रशासन की तैयारी पूरी, बिना मास्क के मन्दिर में नहीं होगा प्रवेश

बलरामपुर, 12 अप्रैल(हि.स.)। चैत्र नवरात्रि मंगलवार (13 अप्रैल) से शुरु हो रहा है। इसको लेकर शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन में लगने वाले एक माह के राजकीय मेले को लेकर मंदिर व स्थानीय प्रशासन ने तैयारी पूरी कर ली है। कोरोना महामारी को देखते हुए प्रशासन द्वारा व्यापक तैयारी की गई हैं। 51 शक्तिपीठों में प्रधान पीठ शक्तिपीठ देवीपाटन में नवरात्रि एक माह का मेला लगता है। मंदिर की ऐतिहासिकता व धार्मिक महत्व को देखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा लगने वाले मेले को राजकीय मेला का दर्जा प्राप्त है। मेले में स्थानीय लोगों के अलावा कई राज्यों से दर्शन के लिए श्रद्धालु देवीपाटन पहुंचते हैं। कोरोना महामारी की वजह से पिछले वर्ष चैत्र नवरात्रि में मेले का आयोजन नही हुआ था। इस वर्ष भी कोरोना का संक्रमण तेजी से फैला हुआ है। इसके मद्देनजर विशेष सतर्कता बरती जा रही है। मंदिर से जुड़ी नगर तुलसीपुर के प्रवेश सीमा तथा मंदिर प्रवेश मार्ग पर श्रद्धालुओं की स्क्रीनिंग की जायेगी। स्क्रीनिंग के बाद ही प्रवेश दिया जायेगा। मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रसाद नही चढ़ेगा न ही पुजारियों द्वारा तिलक लगाया जायेगा। बिना मास्क के प्रवेश नहीं मिलेगा प्रवेश शक्ति पीठ के पीठाधीश्वर मिथिलेश नाथ योगी ने बताया कि सभी प्रवेश द्वारों पर सैनिटाइजेशन की सुविधा की गई है। बिना मास्क वालें श्रद्धालुओं को मन्दिर में प्रवेश नहीं दिया जायेगा। मंदिर प्रबंधन व स्थानीय प्रशासन द्वारा भी मास्क को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। पीठाधीश्वर ने बताया कि सरकार द्वारा जारी कोविड-19 से बचाव को लेकर निर्देशों का पालन कराया जाएगा। मेला की व्यवस्था व कोविड से बचाव को लेकर मंडलायुक्त व डीआईजी समीक्षा बैठक कर चुके है। शोभा यात्रा में शामिल लोगों की होगी जांचे चैत्र नवरात्रि की पंचमी को नेपाल से देवीपाटन मंदिर पहुंच रही शोभा यात्रा में शामिल सभी संतों ,श्रद्धालुओं का भारत-नेपाल सीमा पर ही कोविड जांच करायी जायेगी। सीएमओ डा. विजय बहादुर सिंह ने बताया कि सीमा पर ही जनकपुर गांव में यात्रा में शामिल सभी लोगों की कोविड जांच की जायेगी। उल्लेखनीय है कि हजारों वर्षों से नेपाल के डांग चौखड़ा से पीर रतन नाथ योगी की पैदल शोभा यात्रा चैत्र नवरात्रि के पंचमी के दिन शक्तिपीठ देवीपाटन पहुंचती है। यह यात्रा नेपाल भारत के रोटी बेटी संबंधों को मजबूती से प्रगाढ़ता दे रहा है। इस यात्रा के ऐतिहासिक व धार्मिक महत्त्व भी शक्तिपीठ से जुड़े हैं। शक्तिपीठ का धार्मिक महत्व शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन अपने धार्मिक ऐतिहासिक महत्त्व के लिए पूरे दुनिया में प्रसिद्ध है माना जाता है कि यहां मां सती का वाम स्कंध पट सहित (वस्त्र सहित वायां हाथ) गिरा था। पट सहित गिरने से यहां महासती को देवी पाटेश्वरी के नाम से पूजन किया जाता है। यहां महायोगी गुरु गोरक्षनाथ जी का भी इतिहास जुड़ा हुआ है यहां महायोगी ने ही यहां देवी की स्थापना की थी। महायोगी द्वारा जलाई गई अखंड धूनी आज भी यहां युग युगांतर से प्रज्वलित है, जिसे श्रद्धालु मां पाटेश्वरी के दर्शन उपरांत अखंड धूनी का भी पूजन करते है। यह स्थान महाभारत कालीन राजा कर्ण से भी जुड़ा रहा है। यहां राजा कर्ण स्नान कर सूर्य उपासना किया करते थे। वह कुंड आज भी यहां विद्यमान है जिसे सूर्यकुंड के नाम से जाना जाता है। इस शक्तिपीठ का संचालन गोरक्षपीठ गोरखपुर के द्वारा की जा रही है। वर्तमान में यहां महंत मिथिलेश नाथ योगी है। जिनके कुसल देखरेख में शक्तिपीठ की व्यवस्था संचालित है। हिन्दुस्थान समाचार/प्रभाकर

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