बाबा विश्वनाथ पर चढ़ा अभिषेक का जल, बेलपत्र लेकर विहिप कार्यकर्ता अयोध्या रवाना
बाबा विश्वनाथ पर चढ़ा अभिषेक का जल, बेलपत्र लेकर विहिप कार्यकर्ता अयोध्या रवाना

बाबा विश्वनाथ पर चढ़ा अभिषेक का जल, बेलपत्र लेकर विहिप कार्यकर्ता अयोध्या रवाना

वाराणसी, 31 जुलाई (हि.स.)। अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन की तैयारियां चल रही हैं। देश भर के धार्मिक स्थलों से पवित्र नदियों का जल और मिट्टी अयोध्या भेजी जा रही है। शुक्रवार को काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ की नगरी के धार्मिक क्षेत्र से बाहर की पवित्र मिट्टी, बाबा विश्वनाथ पर चढ़ा अभिषेक का जल, चांदी का बेलपत्र, चंदन कलश में लेकर विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता वाहनों से अयोध्या रवाना हो गये। अयोध्या जाने से पहले इंगलिशिया लाइन स्थित हिंदू भवन विश्व हिंदू परिषद कार्यालय पर जुटे कार्यकर्ताओं ने कलश को सिर माथे लगाया। इसके बाद सत्येंद्र, धीरज, मोहित, रजत कलश को लेकर वाहनों में सवार हुए। मौके पर कार्यकर्ताओं ने हर-हर महादेव और जय-जय श्रीराम के गगनभेदी उद्घोष के बीच चारो वरिष्ठ साथियों को भगवान राम के जन्मस्थान के लिए रवाना किया। इस दौरान यात्रा में शामिल परिषद के महानगर पदाधिकारी सत्येंद्र ने बताया कि काशी के धार्मिक क्षेत्र के बाहर की पवित्र मिट्टी सामनेघाट गंगा तट, भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ, सीरगोवर्धन पुर स्थित संत रविदास मंदिर, लहरतारा स्थित संत कबीर की जन्मस्थली, जैन मंदिर परिसर से पवित्र मिट्टी ली गई। उन्होंने बताया कि चंदौली रामगढ़ स्थित बाबा कीनाराम की जन्मस्थली, चुनार घाट उत्तर वाहिनी गंगा से गंगाजल और पवित्र मिट्टी भी मंगाई गई। पवित्र मिट्टी, गंगाजल को कलश में रख इसे अयोध्या ले जा रहे है। उन्होंने बताया कि कोरोना संकटकाल में नियमों का पालन करते हुए सिर्फ चार कार्यकर्ता ही दो वाहनों में अयोध्या साथ चल रहे है। इसके पहले बीते गुरूवार को अपरान्ह में विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता अखिल भारतीय सन्त समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती और महानगर अध्यक्ष कन्हैया के अगुवाई में काशी के धार्मिक क्षेत्र के बाहर सामने घाट पहुंचे। यहां गंगा पूजन के बाद मिट्टी और गंगा जल लेकर सभी बाबा विश्वनाथ के दरबार में पहुंचे। दरबार में स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने विधि विधान से पूजा करने के बाद कलश में बाबा के अभिषेक का जल, चंदन, बेलपत्र लिया और इसे कलश में रखा। इस दौरान स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि बाबा विश्वनाथ के बगैर भगवान् राम की पूजा पूरी नहीं होती और भगवान् राम के बगैर बाबा विश्वनाथ की पूजा पूरी नहीं होती। इसलिए आगामी पांच अगस्त को 492 वर्ष की गुलामी की ज़ंजीरों को तोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीराम जन्म भूमि का भूमि पूजन करेंगे। उस समय बाबा विश्वनाथ को चढ़ा हुआ गंगाजल और यह मिट्टी जो बुद्ध के ज्ञान की है, कबीर के जन्म की है, रैदास की भूमि की है, नींव में समाहित होगी। श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी पर पूजन करके मिट्टी और गंगा जल लाया गया। उन्होंने बताया कि यह मिट्टी अस्सी और वरुणा क्षेत्र की नहीं है। धार्मिक क्षेत्र के बाहर की है। शास्त्रों के अनुसार काशी में अस्सी और वरुणा के बीच की मिट्टी और गंगाजल कहीं ले जाया नहीं जा सकता। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/दीपक-hindusthansamachar.in

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