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सच्चा मित्र वही है जो विपत्ति में साथ दे - जिज्ञासु जी महाराज

औरैया, 27 फरवरी (हि.स.)। कस्बा एरवा कटरा स्तिथि प्राचीन ऐरावत मंदिर पर चल रही। श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन में श्रीधाम वृंदावन से पधारे आचार्य आशुतोष शुक्ल उर्फ जिज्ञासु जी महाराज ने शनिवार ने को रुकमणी मंगल सुदामा चरित्र की झांकी के दर्शन कराते हुए। कृष्ण सुदामा की मित्रता में सच्ची मित्रता का दिव्य और सूत्र श्री कृष्ण और सुदामा जी के जीवन से प्राप्त होती है। उन्होंने बताया की गरीब ब्राह्मण सुदामा को भगवान श्री कृष्ण ने सच्चे मन से गले लगाकर अमीरी और गरीबी के फासले को दूर करने की मिसाल कायम की थी। क्योंकि वह दोनों बचपन के मित्र थे, लेकिन आप लोगों को यह भी यह समझना चाहिए कि अगर आज आपके बचपन का मित्र दुखी हो तो आप को साथ देना चाहिए बल्कि आज का युग ऐसे मित्र का साथ छोड़ देता है। आपको यह भी समझना चाहिए की गरीबी और अमीरी सब समय का चक्र होता है। जो समय-समय पर परिस्थितियां बदलती रहती हैं। लेकिन आप लोग समय को ना बदलें। अपने सच्चे मित्र का साथ दें। कथा में आज अंतिम दिन में बड़ी संख्या में लोग आए। इस मौके पर कथा परीक्षित मंसाराम बाबा जी एवं चंद्र प्रकाश तिवारी मौजूद रहे। हिन्दुस्थान समाचार / सुनील

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