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व्यस्त जीवन शैली से पनपते हैं 83 प्रतिशत रोग : डाॅ. अशोक

मेरठ, 07 अप्रैल (हि.स.)। आरोग्य भारती के राष्ट्रीय सचिव डाॅ. अशोक ने कहा कि 83 प्रतिशत रोग व्यस्त जीवनशैली के कारण होते हैं। 60 प्रतिशत लोग व्यस्त जीवनशैली के कारण तनावपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे हैं। अपने स्वास्थ्य की रक्षा हमको स्वयं की करनी होगी। जिस अर्थ को पाने के लिए हम अपनी काया की चिंता नहीं कर रहे हैं, लाखों रूपये खर्च करने के बाद भी वह काया नहीं पा पाएंगे। यदि हमने अपनी जीवनशैली को व्यवस्थित कर लिया तो सारे रोग भाग जाएंगे। आरोग्य भारती और विवेकानंद अध्ययन केंद्र के संयुक्त तत्वाधान में बुधवार को सीसीएसयू के बृहस्पति भवन में ’स्वस्थ्य जीवनशैली, आचार एवं विचार वर्तमान परिस्थिति के विशेष संदर्भ में’ विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता आरोग्य भारती के राष्ट्रीय सचिव डाॅ. अशोक ने कहा कि यदि जीवन को स्वस्थ्य रखना है तो व्यायाम बहुत जरूरी है। छोटे-छोटे कामों को अपनी जीवनशैली में शामिल करना पड़ेगा। तीन चीजों को जीवन में जरूर शामिल करें। शारीरिक व मानसिक व्यायाम, आहार विहार और सकारात्मक सोच। विशिष्ट अतिथि डाॅ. संजय जैन ने कहा कि माॅडन मेडिसन के कारण हर साल पांच करोड लोग गरीबी की रेखा के नीचे चले जाते हैं। माॅडर्न मेडिसिन के उददेश्य पेटेंट एवं लाभ है। इसका मानव कल्याण से कोई वास्ता नहीं है। यह कारण है कि आयुर्वेद हाशिए पर चला गया। आयुर्वेद शताब्दियों से हमारी चिकित्सा पद्धति रही है। लेकिन कोरोना ने कारण मजबूरी में ही सही भारतीय संस्कृति और आयुर्वेद को दुनिया को अपनाना पडा है। मुख्य अतिथि डाॅ. दर्शनलाल अरोड़ा ने कहा कि यदि हमारा शरीर ठीक है तो हम सब काम कर सकते हैं। यदि शरीर ठीक नहीं है तो आपके अंदर कितनी भी योग्यता हो सब बेकार है। उन्होंने कहा कि हेल्थ ही डोज आधा घंटा रोज व्यायाम के माध्यम से हम सभी अंगों को स्वस्थ कर सकते हैं। आवश्यकता पड़ने पर ही दवा का उपयोग करें। हमारी रसोई में ही सभी प्रकार की दवाएं है लेकिन हम रसोई में से सभी दवाएं को खत्म करते जा रहे हैं फाॅस्ट फूड और बाहर के खाने को ज्यादा अपना रहे हैं। जीवन में हर दृष्टि से ईमानदारी का उपयोग करें, अपनी योग्यता को समाज के लिए इस्तेमाल करें। विवि के चीफ प्राॅक्टर प्रो. बीरपाल सिंह ने कहा कि, आयुर्वेद देश की संस्कृति में शामिल है और भारतीय संस्कृति ने दुनिया को बताया कि किस प्रकार से कोरोना से बचा जा सकता है। पूरा दुनिया आयुर्वेद की तरफ जा रही है। शरीर को स्वास्थ रखने के लिए अपने आप पर संयम करना होगा। कार्यक्रम में डाॅ. निधि भाटिया, डाॅ. धर्मेंद्र कुमार, मनोज पाठक, विजय लक्ष्मी, सुशील कुमार, कृष्ण कुमार, प्रो. आरके सोनी, प्रो. नीलू जैन, प्रो. बिन्दु शर्मा, प्रो. राजीव सिजेरिया, डाॅ. अनुज कुमार, डाॅ. विवेक कुमार, डाॅ. नरेंद्र पांडे, डाॅ. अश्वनी कुमार, डाॅ. कपिल स्वामी, प्रेस प्रवक्ता मितेंद्र कुमार गुप्ता आदि मौजूद थे। हिन्दुस्थान समाचार/कुलदीप

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