'व्हील चेयर' वाली बाहुबली मुख्तार की तस्वीर चर्चा में, सोशल मीडिया में उड़ रही खिल्ली

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- 'चचा ने तो पहले ही सरेण्डर कर दिया,गाड़ी पलटी भी तो भाग नहीं पायेंगे - कभी ठसक और खौफ पूर्वांचल में रही पहचान, चर्चा करने से लोग करते थे परहेज वाराणसी, 02 अप्रैल (हि.स.)। देख दिनन का फेर वाली कहावत मऊ के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी पर सटीक बैठ रही है। कभी बाहुबली माफिया के खौफ,रसूख और ठसक मऊ ही नहीं पूरे पूर्वांचल और राजधानी लखनऊ में खास पहचान थी। छुटभैये दल ही नहीं तत्कालीन सत्ताधारी दल के शीर्ष नेता भी रसूख खासकर मतों के ध्रुवीकरण की क्षमता के आगे सिर झुकाते थे। अब प्रदेश में बदले सियासी समीकरण और योगी सरकार की कार्यशैली से मुख्तार अंसारी का राजनीतिक वजूद तो हिला ही दी है आर्थिक साम्राज्य का तिलस्म भी टूटने लगा है। कभी लोग पूर्वांचल में सार्वजनिक जगहों पर मुख्तार के खिलाफ अपशब्द बोलने से भी हिचकते थे। अब सोशल मीडिया पर युवा खुलेआम बाहुबली विधायक की 'व्हील चेयर' वाली तस्वीर लगाकर उसकी जमकर खिल्ली उड़ा रहे हैं। बीते बुधवार को पंजाब के मोहाली कोर्ट में पेश होने के समय मुख्तार अंसारी व्हील चेयर पर बैठे नजर आये। इस दौरान उनके शिथिल शरीर को लेकर युवा फेसबुक पर पहले की असलहों के साथ वाली तस्वीरें लगाकर कमेंट कर रहे है। युवा तंज कस रहे हैं कि योगी सरकार के डर से मुख्तार अंसारी प्रदेश में आने से बचने के लिए बीमारी का बहाना कर रहे हैं। युवा उन्हें कानपुर के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के मुठभेड़ के समय की गाड़ी पलटने वाली घटना का याद भी दिलाकर मजा ले रहे है। सोशल मीडिया पर एक यूजर ने लिखा कि 'चचा ने तो पहले ही सरेण्डर कर दिया,गाड़ी पलट भी दो तो हम भाग नहीं पायेंगे'। धर्म नगरी काशी में लोग 2009 के लोकसभा चुनाव के समय को याद करते हैं। उस चुनाव में मुख्तार अंसारी बसपा से दावेदारी कर रहे थे। भाजपा ने इस सीट से पार्टी के दिग्गज नेता डा.मुरली मनोहर जोशी को चुनावी जंग में उतारा था। तीसरे प्रत्याशी अजय राय समाजवादी पार्टी और चौथे कांग्रेस के डॉ राजेश मिश्र रहे। पूरे चुनाव में मुख्तार अंसारी जेल में बंद रहने के बाद भी अपने रसूख और बसपा के परम्परागत मतों की बदौलत दूसरे स्थान पर रहे। बसपा प्रत्याशी मुख्तार अंसारी रोहनिया विधानसभा में डॉ. मुरली मनोहर जोशी से भी अधिक मत पाये थे। शहरी क्षेत्र में डॉ जोशी ने बढ़त बनाई थी। पुरनिये बताते हैं कि उस दौर में मुख्तार अंसारी का रसूख चरम पर रहा। जानकार, प्रदेश में समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में उनके रसूख और एलएमजी प्रकरण का उल्लेखकर बताते हैं कि तब मुख्तार अंसारी का गनर मुन्नर यादव सेना में सिपाही रहे बाबूलाल यादव से एलएमजी खरीदने की जुगत में रहा। सेना का भगोड़ा बाबूलाल एलएमजी चोरी करके भागा था। मुख्तार अंसारी इस एलएमजी को एक करोड़ में खरीदने के लिए तैयार थे। 25 जनवरी 2004 को वाराणसी के चौबेपुर इलाके में एसटीएफ के तत्कालीन डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने फोर्स के साथ छापा मार कर बाबूलाल यादव, मुन्नर यादव को गिरफ्तार कर लिया था। मौके से ही उन्होंने 200 कारतूसों के साथ एलएमजी को भी बरामद कर लिया। ये प्रकरण उस दौर में सुर्खियों में रहा। तब पुलिस अफसर शैलेंद्र सिंह ने चौबेपुर थाने में पोटा के तहत मुख्तार अंसारी पर केस भी पंजीकृत कराया था। इस मामले में दवाब पड़ने पर शैलेन्द्र सिंह ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। तब भी मुख्तार के प्रति लोगों में नाराजगी दिखी थी। तत्कालीन सत्ताधारी नेताओं के चलते अपने अपराधी तिलिस्म और रसूख में बचाने में मुख्तार सफल रहे। वर्ष 2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने और योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही माफिया मुख्तार अंसारी की मुश्किलें बढ़ने के साथ एक-एक कर आर्थिक साम्राज्य भी बिखर रहा है। सरकार के शिकंजा कसते ही मुख्तार अंसारी के शुभचिंतक और शरणदाता भी खुलकर सामने आने से बच रहे हैं। हालत ये हो गई है कि मुख्तार अंसारी के खास रहे मऊ घोसी लोकसभा से जेल में बंद बसपा सांसद अतुल राय ने मुख़्तार अंसारी से अपनी जान का खतरा बताया है। बसपा सांसद ने मुख्यमंत्री से लेकर प्रमुख सचिव गृह और पुलिस महानिदेशक तक को पत्र लिखा है। इसको लेकर भी अपराध जगत में तरह-तरह की बातें हो रही है। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर

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