किसान की आय बढ़ाने के लिए प्रदेश में बनेंगे 13 और एक्सीलेंस सेंटर, रोग मुक्त मिलेंगे पौध : श्रीराम चौहान
-प्रदेश में सात मिनी एक्सीलेंस सेंटर बन चुके हैं, एक निर्माणाधीन -उद्यान मंत्री ने कहा, किसानों की आय बढ़ाने के लिए पिछली सरकारों ने कुछ नहीं किया -2017 तक प्रदेश में मात्र 69.78 हेक्टेयर क्षेत्रफल में ही बने थे पाली हाउस, -अब 126.86 हेक्टेयर में पाली हाउस में खेती कर रहे किसान लखनऊ, 28 दिसम्बर (हि.स.)। पिछली सरकारों ने किसानों को सिर्फ ठगने का काम किया है। उनके लिए वे एक भी ऐसी योजना नहीं बता सकते, जो उनके हमेशा काम आए और प्रगति पथ की ओर ले जाए। किसान देश के विकास के साथ कदमताल मिलाकर चलें। किसानों की आय लगातार बढ़ती रहे। वैज्ञानिक खेती की ओर अग्रसर हों, दुनिया के साथ किसान तालमेल बिठाकर चले इसके लिए भाजपा ने काम किया है। इसके लिए किए गये सैकड़ों काम में से एक है, मिनी सेंटर फार एक्सीलेंस। सात जिलों में इसकी स्थापना हो चुकी है। चंदौली में निर्माणाधीन है और तेरह जनपदों में बनने के लिए प्रस्तावित है। ये बातें प्रदेश के उद्यान मंत्री श्रीराम चौहान ने कही। यह बता दें कि सेंटर फार एक्सीलेंस पाली हाउस की तरह ही होता है। इसको सरकार अपनी तरह से स्थपित कर रही है। इसमें फल व सब्जियों के रोग मुक्त बीज उगाये जाते हैं। जो भी पौध इसमें तैयार होगा, वह हृष्ट-पुष्ट होगा। यदि वह पहले से हृष्ट-पुष्ट होगा, रोगमुक्त होगा तो उसकी पैदावार भी जल्द और अच्छी होगी। सरकार द्वारा स्थापित इन एक्सीलेंस सेंटरों में दो रुपये प्रति पौध के हिसाब से किसान को पौधे दिये जाते हैं। यदि किसान अपना बीज यहां उगाना चाहता है तो यह सुविधा भी एक्सीलेंस सेंटरों में उपलब्ध है। इसके लिए एक्सीलेंस सेंटर एक रुपये प्रति पौध के हिसाब से पैसा लेते हैं। हापुड़ व कुशीनगर में बनेगा आलू आधारित मिनी एक्सीलेंस सेंटर उद्यान मंत्री ने 'हिन्दुस्थान समाचार' से विशेष वार्ता में बताया कि हापुड़, अलीगढ़, मऊ, बहराइच, फतेहपुर, रामपुर, अम्बेडकरनगर में मिनी एक्सीलेंस सेंटर स्थापित हो चुके हैं। किसान वहां से लाभ ले रहे हैं। हापुड़ और कुशीनगर में आलू आधारित मिनी एक्सीलेंस सेंटर बनना है। उन्होंने बताया कि आफ सीजन में भी हाई वैल्यू सब्जी एंव पुष्प उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत बागवानी विकास मिशन के अंतर्गत 2017-18 से 2020-21 के बी ग्रीन हाउस एवं टीनशेड का निर्माण कर 126.86 हेक्टेयर में वैज्ञानिक ढंग से खेती किसान कर रहे हैं, जबकि 2017-18 से पूर्व मात्र 69.78 हेक्टेयर में ही पाली हाउस बन पाया था। आय के साथ ही पानी का बना रहे स्रोत, इस पर भी ध्यान दे रही सरकार उद्यान मंत्री ने कहा कि किसानों की आय बढ़ने के साथ ही पानी की खपत भी कम हो। इससे पानी का लेवल नीचे नहीं जाएगा। इस पर भी भाजपा ने काम किया। इसके लिए ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई की ग्राह्यता को बढ़ाने के लिए 80 से 90 प्रतिशत अनुदान पर ड्रिप सिंचाई पद्धति को 178767 हेक्टेयर में स्थापित करायी। इससे पहले 2006 से लेकर 2017 तक 38870 हेक्टेयर में ही यह पद्धति स्थापित थी। उद्यान मंत्री हिन्दुस्थान समाचार से कहा कि पिछली सरकारों ने कभी नहीं चाहा कि किसान वैज्ञानिक खेती से जुड़कर स्वयं सक्षम हो जाय, वे हमेशा इसे गरीब ही बने रहने में अपना हित समझते रहे। हमने किसान भाइयों के स्थायी विकास पर ध्यान दिया। इसके तहत तमाम वैज्ञानिक पद्धति से जोड़ा। किसानों को उत्पाद बेचने के लिए नजदीक में बाजार उपलब्ध हो, इस पर ध्यान दिया। खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर में 123 नई इकाइयां हुईं शुरू, 1.28 लाख को मिला रोजगार उन्होंने कहा कि फरवरी 2018 में आयोजित उप्र इन्वेस्टर्स समिट में खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर के उद्योगपतियों द्वारा धनराशि 15182.54 करोड़ के 285 एमओयू हस्ताक्षरित हुए थे, जिसके सापेक्ष आज 123 इकाइयां व्यवसायिक उत्पादन कर रही हैं। 41 इकाइयां व्यवसायिक उत्पादन कर रही हैं। उन्होंने हिन्दुस्थान समाचार से कहा कि उप्र खाद्य प्रंसस्करण उद्योग नीति-2017 के अंतर्गत अब तक 636 आन लाइन आवेदन पंजीकृत हुए हैं, जिनमें 3312.82 करोड़ रुपये की पूंजी निवेश तथा 1.28 लाख प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन हुआ है। हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/दीपक-hindusthansamachar.in